एक औरत के उदगार – मेरी कलम से | Hindi poem by Tripti Srivastava
एक औरत के उदगार – मेरी कलम से कभी तो यारों उसका दिल भी, टटोल कर के देखो। दिल में ज़ब्त जज्बातों को, कभी खोल कर तो देखो।। …
एक औरत के उदगार – मेरी कलम से कभी तो यारों उसका दिल भी, टटोल कर के देखो। दिल में ज़ब्त जज्बातों को, कभी खोल कर तो देखो।। …
एक माँ के मन का उदगार – Hindi Kavita जब तू सिर्फ मेरा एहसास था, मेरा गर्भ ही तेरा संसार था , मुझसे जुड़ा था नाल का बंधन, दिल …
आखिर क्यों…मेरी कलम से – Hindi Kavita याद आती है मुझे, गुजरे जमाने की वो धुंधली तस्वीर… वो रातों को जगना, अरमानों को पंख लगाना, निंदिया को भगाकर, किताबों …
नयी उम्मीदें – मेरी कलम से Hindi Kavita नयी उम्मीदें – मेरी कलम से खुद ही से मैं नज़रें चुराने लगी हूं, उन यादों से दामन छुड़ाने …
ये तन्हाइयां ये तन्हाइयां हमेशा ही तेरा साथ निभाती हैं, निःस्वार्थ भावना से तुझे गले से लगाती हैं। परेशानियों में जब तेरी आँखें हैं डबडबाती, …