हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत ही पवित्र व पूजनीय माना जाता है। आज हम आपको बताएंगे सुख-समृद्धि पाने के लिए तुलसी पूजन के कुछ साधारण नियम

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तुलसी का पौधा गुरूवार के दिन लगाना चाहिए।  कार्तिक का महीना तुलसी लगाने के लिए बेहद शुभ माना गया है। 

बिना स्नान किए तुलसी जी को भूलकर भी नहीं छूना चाहिए, इससे वो अपवित्र मानी जाती है और जातक पाप का भागी बनता है। स्नान के पश्चात ही तुलसी को स्पर्श करें। 

तुलसी पूजन के समय की गई कुछ गलतियों के कारण आपको धन हानि उठानी पड़ सकती है। तो चलिए जानते हैं तुलसी पूजन की सही विधि...

रविवार,  एकादशी,  द्वादशी, चतुर्दशी, संक्रांति, ग्रहण, पूर्णिमा, अमावस्या के दिन और संध्याकाल में भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी के पत्ते को तोड़ना है तो नाखूनों का प्रयोग ना करें।

तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले तुलसी जी को प्रणाम करें,  पत्ते तोड़ने की आज्ञा मांगें और साथ ही पत्ते तोड़ने के लिए क्षमा भी मांगें।  सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। 

यदि आप संध्याकाल में पूजन कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी को दूर से ही प्रणाम करें, भूलकर भी शाम को तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए।

तुलसी की मंजरी को समय-समय पर तोड़ते रहें। सूखी हुई तुलसी को फेंकने की बजाय किसी पवित्र नदी में बहा देना चाहिए। 

सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय मौजूद भोजन पर तुलसी के पत्ते रख देने चाहिए। इससे इन पर ग्रहण का असर नहीं पड़ता। 

तुलसी के नीचे हमेशा गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए, इसी के साथ नियमित रुप से संध्या के समय भी तुलसी में दीपक जरूर जलाना चाहिए।

भगवान विष्णु को पूजा के दौरान नियमित तौर पर तुलसी के पत्ते अर्पित करने चाहिए। इससे शुभ फल मिलते हैं। भोलेनाथ और गणेश जी को तुलसी पत्र अर्पित नही करने चाहिए। 

महिलाओं को तुलसी पूजन करते समय बालों को खुला नहीं रखना चाहिए, अन्य पूजा अनुष्ठानों की तरह तुलसी पूजा करते समय भी बालों को बांधकर रखना चाहिए।

जहां पर तुलसी का पौधा लगा होता है और प्रतिदिन उसकी पूजा की जाती है, वहां पर कभी भी खुशहाली व धन-धान्य की कमी नहीं होती है।