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आइये जानते है वास्तु अनुसार आदर्श घर कैसा होना चाहिए?
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आजकल आबादी के बढ़ते या पश्चिम के अनुसरण के चलते लोगों ने फ्लैट में रहना शुरू कर दिया है. दूसरी ओर कोई भी वास्तुशास्त्र का पालन नहीं करता है
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घर में यदि आपको अच्छी सुकून की नींद, अच्छा सेहतमंद भोजन और भरपूर प्यार-अपनत्व नहीं मिल रहा है तो घर में वास्तुदोष है.
सुकून के घर के लिए सबसे पहले दिशा का चयन करना चाहिए. सबसे उत्तम दिशा- पूर्व, ईशान और उत्तर है. वायव्य और पश्चिम सम है. आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा सबसे खराब होती है.
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मुख्य भवन का निर्माण ऐसा करवाना चाहिए की दक्षिण की अपेक्षा उत्तर की ओर अधिक खाली स्थान रहे और इसी प्रकार पश्चिम की अपेक्षा पूर्व मे अधिक खाली स्थान रहे
उत्तर व दक्षिण में बराबर-बराबर भूमि खाली रहे तथा पूर्व व पश्चिम में बराबर बराबर भूमि खाली रहे तो ऐसा निर्माण शुभ होता है।
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दक्षिण की ओर की भूमि उत्तर की ओर की अपेक्षा अधिक ऊंची होनी चाहिये। इसी प्रकार पूर्व की अपेक्षा पश्चिमी भाग की ओर भूमि का तल ऊंचा होना चाहिये।
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वर्षा के जल का बहाव उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिये। वास्तु के हिसाब से ऐसा घर माना जाता है शुभ!
भवन की आकृति अधिकतर वर्गाकार या आयताकार होनी चाहिये। इस आकृति में, छज्जे, झरोखे (या पोर्च) के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का विस्तार या कटाव नहीं होना चाहिये।
भवन की चौड़ाई व लम्बाई का अनुपात 1: 1 या 1: 11/2 या अधिक से अधिक 1 : 2 होना चाहिये। अर्थात् लम्बाई चौड़ाई बराबर हो या लम्बाई चौड़ाई से डेढ़ गुनी या अधिक से अधिक दो गुनी होना अच्छा रहता है।
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