हिन्दू धर्म में कलावे को बहुत पवित्र माना जाता है। इसे रक्षा सूत्र के रूप में देखा जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य में पंडित द्वारा हाथ में कलावा बंधवाने की परंपरा है।
कलावा क्या होता है
कलावा को कई जगह मौली या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। मौली का धागा कच्चे सूत से तैयार होता है और यह कई रंगों जैसे पीला, लाल या फिर नारंगी रंग का होता है।
क्या महत्व है हाथ में कलावा का
माना जाता है कि हाथ में कलावा या रक्षा सूत्र बांधने से जीवन पर आने वाले कई संकटों से रक्षा होती है। शरीर में पंच तत्वों का संतुलन ठीक बना रहता है, जिस कारण ये धागा आपको कई रोगों से भी बचाता है। हाथ में कलावा को बांधना बहुत ही शुभ माना जाता है।
हाथ में कलावा बांधते समय 3 बार क्यों लपेटा जाता है?
मान्यता है कि हाथ में कलावा बांधते समय तीन बार लपेटा जाता है। एक कलावे में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवियों संग स्थापित होते हैं। इसलिए कलावा तीन बार लपेटने से कई दिव्य फलों की प्राप्ति होती है।
जब कलावे को पहली बार लपेटा जाता है तब उसमें मां सरस्वती का वास स्थापित होता है। मां सरस्वती के आशीर्वाद से व्यक्ति में एकाग्रता बढ़ती है और बुद्धि तीव्र होती है।
जब कलावे को दूसरी बार लपेटा जाता है तब उसमें मां लक्ष्मी का वास स्थापित होता है। मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से व्यक्ति को धन लाभ होता है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
जब कलावे को तीसरी बार लपेटा जाता है तब उसमें मां पार्वती का निवास होता है। मां पार्वती की कृपा से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है।
इस प्रकार इन तीन देवियों की शक्तियों को हाथ के कलावे के जरिये शरीर में संचारित किया जाता है।
कलावे की गांठ का क्या महत्व है
हाथ में कलावा को तीन बार लपेटने के बाद एक गाँठ लगायी जाती है। माना जाता है कि कलावे को बांधते समय जो गांठ लगायी जाती है उसमें त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश का वास होता है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है।
कलावे की गांठ में त्रिदेव के होने से व्यक्ति सशक्त बनता है। हर परिस्थिति से निपटने की कला का उसमें संचार होता है और सकारात्मकता आती है।
ऐसी भी मान्यता है हाथ में कलावा को तीन बार से ज्यादा लपेटा जाए तो इसकी शक्ति निष्फल हो जाती है।
हाथ में कलावा बांधने का मंत्र
पूजा विधि के दौरान पंडित मंत्र का जाप करते हुए कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते वक्त इस चमत्कारी मंत्र का उच्चारण करते हैं । ये मंत्र बोले हुए बांधे कलावा :
मंत्र-
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से हाथ में बंधा हुआ कलावा क्रियाशील हो जाता है और व्यक्ति को बढ़ी हुई ऊर्जा प्रदान करने लगता है।
किस हाथ में कलावा में बंधवाना चाहिए
शास्त्रों के अनुरूप पुरुषों को अपने दाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को भी कलावा दाएं हाथ में ही बंधवाना चाहिए और विवाहित महिलाओं को अपने बाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए।
हाथ में कलावा बांधने के नियम
शास्त्रों के अनुसार जिस हाथ में कलावा बंधा हो, उस हाथ को कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए। अपनी मुट्ठी बंद करें और उस हाथ में दक्षिणा रखें। फिर दूसरा हाथ अपने सिर के ऊपर रखें। हाथ में कलावा बांधने के बाद हाथ में पकड़ी हुई दक्षिणा उस व्यक्ति को भेंट करें।
कलावा उतारने से पहले ध्यान रखें ये नियम
जैसे हाथ में कलावा बांधने के नियम होते हैं वैसे ही कलावा उतारने के भी कई नियम बताए गए हैं। इसके बावजूद भी लोग कलावा को जहां मन करे वहां से हटाकर फेंक देते हैं और यह फेंकने का सही तरीका नहीं है।
शास्त्रों के अनुसार मंगलवार और शनिवार को कलावा उतारने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन, आप इसे हटा सकते हैं और इसे अपने हाथ पर ताजा कलावा के साथ बदल सकते हैं। आप चाहें तो कलावा को हर अमावस्या के दिन उतार सकते हैं और फिर नया कलावा बांध सकते हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि कलावा उतारने के बाद उसका सही तरीके से विसर्जन करें। कलावा उतारने के बाद उसे जल में प्रवाहित कर देना चाहिए या फिर पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए।
हाथ में कलावा बांधने के वैज्ञानिक कारण
कलाई शरीर संरचना के लिए प्राथमिक नियंत्रण बिंदु है। शरीर के विभिन्न प्रमुख अंगों तक जाने वाली नसें कलाई के माध्यम से प्रवाहित होती हैं। कलाई में कलावा बांधने से स्नायुओं का नियमन होता है। इससे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) का सामंजस्य बना रहता है।
हाथ में कलावा बांधने के फायदे
अगर कोई व्यक्ति हाथ में कलावा बांधता है तो यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। कहा जाता है कि कलावा बांधने से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और पक्षाघात जैसी बड़ी बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
Conclusion:
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कलावा क्यों पहना जाता है?
माना जाता है कि कलाई पर कलावा या रक्षा सूत्र बांधने से जीवन पर आने वाले कई संकटों से रक्षा होती है। शरीर में पंच तत्वों का संतुलन ठीक बना रहता है, जिस कारण ये धागा आपको कई रोगों से भी बचाता है।
हाथ में कलावा बांधते समय 3 बार क्यों लपेटा जाता है?
एक कलावे में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवियों संग स्थापित होते हैं। इसलिए कलावा तीन बार लपेटने से कई दिव्य फलों की प्राप्ति होती है।
किस हाथ में बंधवाना चाहिए कलावा?
पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को कलावा अपने दाहिने हाथ में बंधवाना चाहिए और विवाहित महिलाओं को कलावा बाएं हाथ में बंधवाना चाहिए।
कलावा धागा क्या है?
कलावा को कई जगह मौली या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। मौली का धागा कच्चे सूत से तैयार होता है और यह कई रंगों जैसे पीला, लाल या फिर नारंगी रंग का होता है।
कलावा कब उतारना चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार मंगलवार और शनिवार को कलावा उतारने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है।
कलावा क्यों पहना जाता है?
माना जाता है कि कलाई पर कलावा या रक्षा सूत्र बांधने से जीवन पर आने वाले कई संकटों से रक्षा होती है। शरीर में पंच तत्वों का संतुलन ठीक बना रहता है, जिस कारण ये धागा आपको कई रोगों से भी बचाता है।
कलावा बांधते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
पूजा विधि के दौरान पंडित कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते वक्त इस चमत्कारी मंत्र का उच्चारण करते हैं
मंत्र-
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।