Chaitra Navratri Puja Vidhi 2025 | कब है चैत्र नवरात्रि 2025, जानें घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से चैत्र नवरात्रि (Navratri Puja Vidhi) की शुरु आत होती है, जिसमें पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के दिव्य रूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन को प्रतिपदा कहा जाता है। 

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Navratri Puja Vidhi 2025 Date

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि की 30 मार्च 2025, रविवार से शुरुआत हो रही है जो 6 अप्रैल 2025, सोमवार को खत्म हो रही है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथि, पूजा विधि, (Navratri Puja Vidhi) के बारे में। 

Navratri Puja Vidhi, Samagri aur Mantra

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि नवरात्रि देवी दुर्गा की अराधना का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त नौ दिनों तक माता की पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं। नवरात्रि में विधि पूर्वक पूजा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Navratri Puja Vidhi
Navratri Puja Vidhi

 

कब से शुरू हो रही है नवरात्रि 2025

हिंदी पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च  2025, रविवार  से हो रही है जो 6 अप्रैल 2025, सोमवार को खत्म हो रही है। चैत्र नवरात्रि में विधि पूर्वक मां की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है वहीं सुख, समृद्धि और जीवन में शांति बनी रहती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में नियमों का पालन महत्वपूर्ण माना गया है। 

चैत्र नवरात्रि 2025 पर माता की सवारी 

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के शुरू होने पर मां दुर्गा पृथ्वी पर हर बार  किसी सवारी पर सवार होकर स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आती हैं।  नवरात्रि जिस वार से शुरू होता है उसके अनुसार ही माता का वाहन होता है।

इस बार चैत्र नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है। ऐसे में माता दुर्गा का वाहन हाथी होगा, जिस पर सवार होकर मां आएंगी। इसे शुभ संकेत माना जाता है। हाथी पर मां के आगमन से धन-धान्‍य में वृद्धि होती है। इस सवारी का मतलब यह है कि यह समय देश में शांति और समृद्धि का आगमन लेकर आएगा। मां दुर्गा सोमवार 7 अप्रैल को समापन होने पर हाथी से ही प्रस्‍थान करेंगी। यह बहुत ही शुभ माना जा रहा है।

क्यों मनाया जाता है नवरात्रि का त्योहार : Navaratri Vrat Katha

हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार से जुड़ी यह कथा प्रचलित है।

महिषासुर नामक एक राक्षस था, जो ब्रम्हा जी का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपनी कठिन तपस्या से ब्रम्हा जी को प्रसन्न करके भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा था कि देव, दानव या फिर धरती पर रहने वाला कोई भी मनुष्य उसका वध ना कर सके। ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त करने के बाद वह अत्यंत निर्दयी और घमंडी हो गया और तीनों लोकों में आतंक मचाने लगा।

सभी देवी देवता महिषासुर के आतंक से परेशान होकर ब्रम्हा, विष्णु और भगवान शिव के शरण में पहुंचे। देवी देवताओं को संकट में देख ब्रम्हा, विष्णु और महेश जी ने अपने तेज प्रकाश से मां दुर्गा को जन्म दिया। सभी देवी देवताओं ने मिलकर मां दुर्गा को सभी प्रकार के अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित किया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक भीषण युद्ध हुआ। दसवें दिन मां दुर्गा ने भयानक राक्षस महिषासुर का वध कर दिया।

मां दुर्गा की पूजा घर में कैसे करें – Navratri Puja Vidhi at Home

नवरात्रि के इस त्योहार में कुछ लोग अपने घरों माता की चौकी लगाकर अखंड ज्योत जलाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन प्रात:काल देवी दुर्गा की मूर्ति और कलश की स्थापना की जाती हैं। मुहूर्त के अनुसार कलश की स्थापना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा के नौ रूप

• पहले दिन मां शैलपुत्री,
• दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी,
• तीसरे दिन मां चंद्रघंटा,
• चौथे दिन मां कुष्मांडा,
• पांचवे दिन स्कंदमाता,
• छठे दिन मां कात्यायनी,
• सातवें दिन मां कालरात्रि,
• आठवें दिन मां महागौरी और
• नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

नवरात्रि की पूजा विधि – Kya hai Navratri Puja Vidhi

नवरात्रि के दिन सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ पानी से स्नान कर लें। पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान करें या स्नान के पश्चात शरीर पर गंगा जल का छिड़काव करें। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश स्थापित किया जाता है।

तिथि

तारीख

किस देवी की पूजा करें

कौन सा भोग लगायें

किस रंग का वस्त्र पहनें

चैत्र प्रतिपदा

30 मार्च 2025 रविवार

मां शैत्रपुत्री

गाय के घी का भोग

लाल रंग

द्वितीया तिथि

31 मार्च 2025 सोमवार

मां ब्रह्मचारिणी

शक्कर और पंचामृत का भोग

पीला रंग

तृतीया तिथि

1 अप्रैल 2025 मंगलवार

मां चंद्रघंटा

दूध से बनी मिठाइयां और खीर का भोग

हरा रंग

चतुर्थी तिथि

2 अप्रैल 2025 बुधवार

मां कुष्मांडा

मालपुए का भोग

सिलेटी रंग

पंचमी तिथि

3 अप्रैल 2025 गुरुवार

मां स्कन्दमाता

केले का भोग

नारंगी रंग

षष्ठी तिथि

4 अप्रैल 2025 शुक्रवार

मां कात्यायनी

लौकी, मीठा पान और शहद का भोग

सफेद रंग

सप्तमी तिथि

5 अप्रैल 2025 शनिवार

मां कालरात्रि

गुड़ से बने पकवान का भोग

गुलाबी रंग

अष्टमी तिथि

6 अप्रैल 2025 रविवार

मां महागौरी

नारियल के लड्डू का भोग

नीला रंग

नवमी तिथि

6 अप्रैल 2025 रविवार

मां सिद्धिदात्री

हलवा, पूरी और चने का भोग

आसमानी रंग

नवरात्रि में क्यों करते हैं कलश स्थापना – Kalash Sthapna Navratri Puja Vidhi

कलश स्थापना से संबन्धित हमारे पुराणों में मान्यता है जिसके अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इसलिए लोग देवी की पूजा से पहले कलश का पूजन करते हैं। दैवीय पुराण के अनुसार कलश को नौ देवियों का स्वरूप माना जाता है।

कहा जाता है कि कलश के मुख में श्रीहरि भगवान विष्णु, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रम्हा जी वास करते हैं। इसके बीच में दैवीय शक्तियों का वास होता है। इसलिए लोग देवी की पूजा से पहले कलश का पूजन करते हैं।

नवरात्रि और वास्तु के नियम

श्रद्धा भक्ति के साथ-साथ यदि कुछ वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर मां की आराधना की जाए तो पूजा सफल और सिद्धिदायक होती है।आइए जानते हैं मां की पूजा में वास्तु के किन नियमों का ध्यान रखा जाए…

वास्तु में ईशान कोण को देवताओं का स्थल बताया गया है इसलिए नवरात्रि काल में माता की चौकी और कलश की स्थापना इसी दिशा में की जानी चाहिए।

मुख्य द्वार पर ऐसे बनाएं स्वस्तिक :

माता रानी के स्वागत के लिए नवरात्र के पहले दिन घर के मुख्‍य द्वार के दोनों तरफ हल्दी और चावल के मिश्रण से बने लेप से स्‍वास्तिक का चिन्ह बनाएं और दरवाजे पर आम के पत्ते का तोरण भी लगाएं। इससे वास्तु दोष भी दूर होता है।

जब आप पूजा करें तो आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए, क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति और शौर्य का प्रतीक है।

अखंड ज्‍योति जलाएं

नवरात्र में कई लोग 9 दिन तक माता की ज्‍योति जलाकर रखते हैं। इसे अखंड ज्‍योति कहा जाता है। अखंड ज्योति को अगर आप पूजन स्थल के आग्‍नेय कोण में रखें तो घर के अंदर सुख-समृद्धि का निवास होता है।

देवी पूजा के साथ ही शाम के समय पूजन स्थान पर ईष्टदेव की पूजा भी जरूर करें। उनके समक्ष घी का दीया जाएं। इससे परिवार में सुख-शांति होती है।

Navratri Puja Vidhi : कलश स्थापना कैसे करते हैं

पूजा स्थान पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है और फिर पूजा में सभी देवी -देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। कलश को अपने घर के पूजा घर में रखें और कलश के गले में एक पवित्र धागा बांध दें।

कलश स्थापना

कलश को स्थापित करने से पहले उसके नीचे बालू की वेदी बनाई जाती है जिसमें जौ बोये जाते हैं। मान्यता है कि जौ बोने से देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं।कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें।

कलश पर कलावा बांधें। कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रख दें। फिर जटा नारियल को कलावा को बांध दें। लाल कपड़े में नारियल को लपेट कर कलश के ऊपर रखें। कलश स्थापना के स्थान पर दीया जलाएं और दुर्गा मां को अर्घ्य दें।

इसके बाद माता को अक्षत्, सिंदूर, गंध, पुष्प आदि अर्पित करें। इसके बाद माता के मंत्र का उच्चारण करें। फल, मिठाई का भोग लगाएं। कलश स्थापना के बाद धूप दीप जलाकर देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की अराधना करें। दुर्गा चालीसा पढ़े फिर मंत्रों का जाप करें और देवी दुर्गा से नौ दिनों तक कलश को स्वीकार करने और निवास करने का अनुरोध करें।

फिर अंत में कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर उनकी आरती उतारें और शंखनाद के साथ घंटी बजाएं। इसके बाद माता को जो भी प्रसाद चढ़ाया है, उसे लोगों में बांट दें।

नवरात्रि पूजा की सामग्री (Navratri Puja Vidhi Ki Samagri)

लाल कपड़ा, चौकी, कलश, कुमकुम, लाल झंडा, हल्दी की गांठ, पिसी हुई हल्दी, पान-सुपारी, कपूर, रोली, मौली, जौ, नारियल, लौंग, इलायची, बताशे, आम के पत्ते, कलावा, फल,घी, धूप, दीपक, रूई, अगरबत्ती, माचिस, अक्षत, मिश्री, मिट्टी, कलश (मिट्टी का बर्तन), एक छोटी लाल चुनरी, एक बड़ी चुनरी, माता का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, आसन, फूलों का हार, सूखे मेवे, मिठाई, लाल फूल, गंगाजल और दुर्गा सप्तशती 

Navratri Puja Vidhi
Navratri Puja Vidhi

 

नवरात्रि 2025 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त – Navratri Puja Vidhi Shubh Muhurt

नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना 30 मार्च 2025, रविवार को की जाएगी।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त – 30 मार्च 2025 को सुबह 06.13 से 10.22 बजे तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.01 से 12.50 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्त पर कलश स्थापना कर पूजा का संकल्प लेना चाहिए।

चैत्र नवरात्रि 2025 शुभ संयोग

हिंदी पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि पर बहुत अच्छा शुभ बन रहा है। 09 अप्रैल को अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग दोनों ही साथ पड़ रहे हैं। ये दोनों ही शुभ योग 09 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर पूरे दिन तक रहेगा। ज्योतिष में इन योगों को बहुत शुभ माना गया है।

Chaitra Navratri 2025 Date : चैत्र नवरात्रि 2025 तिथि

प्रतिपदा तिथि- 30 मार्च 2025, रविवार , मां शैलपुत्री पूजा, कलश स्थापना

द्वितीया तिथि- 31 मार्च 2025, सोमवार , मां ब्रह्राचारिणी पूजा

तृतीया तिथि- 1 अप्रैल 2025 मंगलवार, मां चंद्रघंटा पूजा

चतुर्थी तिथि-2 अप्रैल 2025 बुधवार, मां कुष्मांडा पूजा

पंचमी तिथि- 3 अप्रैल 2025 गुरुवार, मां स्कंदमाता पूजा

षष्ठी तिथि- 4 अप्रैल 2025 शुक्रवार, मां कात्यायनी पूजा

सप्तमी तिथि- 5 अप्रैल 2024 शनिवार, मां कालरात्रि पूजा

अष्टमी तिथि – 6 अप्रैल 2025 रविवार, मां महागौरी पूजा और दुर्गा महाष्टमी पूजा

नवमी तिथि- 6 अप्रैल 2025 रविवार, मां सिद्धिदात्री पूजा, महा नवमी और रामनवमी पूजा

दशमी तिथि- 7 अप्रैल 2025 सोमवार, पारण, हवन एवं दुर्गा विसर्जन

प्रत्येक दिन माता को लगाएं अलग भोग : Navratri Puja Vidhi Me Lagayen ye Bhog

प्रत्येक दिन माता को अलग भोग लगाने का विशेष लाभ मिलता है। माता अति प्रसन्न होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।

• प्रतिपदा के दिन माता को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाएं। इससे शरीर निरोगी रहता है।
• दूसरे दिन शक्कर का भोग लगाना श्रेष्ठ रहता है। इससे आयु वृद्धि होती है।
• तीसरे दिन खीर या पेड़ा का भोग लगाएं। इससे दुखों से मुक्ति मिलती है।
• चौथे दिन पुआ का भोग लगाएं। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ – साथ शक्ति मिलती है।
• पांचवें दिन केला का भोग लगाएं। इससे शरीर निरोगी रहता है।

• छठे दिन शहद का भोग लगाता पुण्यप्रद होता है। इससे लोग आप की तरफ आकर्षित होंगे।
• सातवें दिन गुड़ की मिठाई या गुड़ का भोग लगाएं। इससे आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है।
• आठवें दिन नारियल के लड्डू का भोग लगाएं। इससे संतान सम्बन्धी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
• नौवें दिन हलवा, पूरी और चने का भोग लगाना चाहिए। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी।

नवरात्रि में किस दिन कौन से रंग के कपड़े पहनें ? Colors for Navratri Puja Vidhi

मां दुर्गा का प्रत्येक रूप एक विशिष्ट रंग से भी जुड़ा है और इसका एक विशेष अर्थ है। नवरात्रि के खास दिनों में इन रंगों को पहनना शुभ माना जाता है। यहां जानिए मां दुर्गा के लिए हर रंग का महत्व :

नवरात्रि पहला दिन – लाल रंग, जो उल्लास, साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
नवरात्रि दूसरा दिन – पीला रंग, जो कुंडली जगाने का काम करता है. 
नवरात्रि तीसरा दिन – हरा रंग, जो हरियाली का प्रतीक होता है.
नवरात्रि चौथा दिन – सिलेटी यानी ग्रे रंग, जो रोगों को दूर करने और धन प्राप्ति का प्रतीक है. 
नवरात्रि पांचवा दिन – नारंगी रंग, जो शुभ फल प्रदान करने का प्रतीक माना जाता है. 
नवरात्रि छठा दिन – सफेद रंग, जो शांति का प्रतीक होता है. 
नवरात्रि सातवां दिन – गुलाबी रंग, जो एकता का प्रतीक है. 
नवरात्रि आठवां दिन – नीला रंग, जो असीम शांति का प्रतीक होता है. 
नवरात्रि नवां दिन – आसमानी रंग, जो चंद्रमा की पूजा के लिए सर्वोत्तम समझा जाता है. 

काले रंग के प्रयोग से बचें

नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना के दौरान आपको किसी भी चीज में काले रंग का प्रयोग करने से बचना चाहिए। शुभ कार्यों में काले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।

Chaitra Navratri 2025 Puja Vidhi

घटस्थापना तिथि (नवरात्रि का पहला दिन) :

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। माता शैलपुत्री- पहाड़ों की बेटी है। मां शैलपुत्री को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। पीला रंग खुशहाली और चमक का प्रतीक होता है। शैलपुत्री मां प्रकृति का प्रतीक है और उनका पसंदीदा फूल चमेली है। प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। तथा शरीर निरोगी रहता है। 

मान्यता है कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने व माता को पीला फूल व मिठाई का भोग लगाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

नव देवियों के प्रथम रूप शैलपुत्री का आशीष प्राप्त करने हेतु सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें।

सूर्य गायत्री मंत्र

ॐ आदित्याय विद्महे मार्त्तण्डाय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ॥

द्वितीया तिथि (नवरात्रि का दूसरा दिन) :

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। इस दिन मां ब्रम्हचरिणी की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है।

माता को हरा रंग अत्यंत प्रिय है। यह रंग नवीकरण, प्रकृति और ऊर्जा से जुड़ा है। नवरात्रि के दूसरे दिन इस रंग को पहनने से जीवन में विकास, सद्भाव और ताजी ऊर्जा आती है। इसके साथ ही देवता को चमेली के फूल चढ़ाएं। इस दिन माता रानी की पूजा हरे रंग के साथ की जाए तो मां दुर्गा अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होती हैं।

नव देवियों के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी का आशीष प्राप्त करने हेतु चन्द्र गायत्री मंत्र का जाप करें।

चन्द्र गायत्री मंत्र

ॐ अत्रिपुत्राय विद्महे सागरोद्भवाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ॥

तृतीया तिथि (नवरात्रि का तीसरा दिन) :

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण करती हैं। तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।

माता को भूरा रंग बेहद प्रिय है। यह एक गहरा रंग है और अक्सर नकारात्मकता से जुड़ा होता है, लेकिन भूरा रंग बुराई के विनाश और दृढ़ संकल्प का प्रतीक माना जाता है।

इस दिन नव देवियों के तृतीय रूप चंद्रघंटा का आशीष प्राप्त करने हेतु गुरु गायत्री मंत्र का जाप करें।

गुरु गायत्री मंत्र

ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात् ॥

चतुर्थी तिथि (नवरात्रि का चौथा दिन) :

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा अर्चना का विधान है। मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें। जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।

माता को नारंगी रंग बेहद प्रिय है, उन्हें “मुस्कुराती हुई देवी” भी कहा जाता है। यही कारण है कि वह हंसमुख रंग नारंगी से जुड़ी हुई है। यह रंग चमक, खुशी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन नारंगी रंग के वस्त्र धारंण कर माता की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और विशेष फल की प्राप्ति होती है।

नव देवियों के चतुर्थ रूप कुष्मांडा का आशीष प्राप्त करने हेतु राहु गायत्री मंत्र का जाप करें।

राहु गायत्री मंत्र

ॐ शिरो-रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्॥

पंचमी तिथि (नवरात्रि का पांचवा दिन) :

इस दिन माता के पांचवे स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। जो भगवान कार्तिकेय को अपनी दाहिनी भुजा में पकड़े हुए दिखाई देती हैं। देवी के इस रूप की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का भी लाभ मिलता है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है। 

माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। जो पवित्रता, शांति और ध्यान का प्रतिनिधित्व करती है। इस दिन सफेद वस्त्र धारण कर माता को सफेद फूल चढ़ाने और सफेद मिठाई का भोग लगाने से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं।

नव देवियों के पंचम रूप स्कंदमाता का आशीष प्राप्त करने हेतु गणेश गायत्री मंत्र का जाप करें।

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात्॥

चैत्र नवरात्रि 2024
Ma Durga ke 9 roop

 

षष्ठी तिथि (नवरात्रि के छठा दिन) :

नवरात्रि के छठे दिन माता के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा का विधान है। वह देवी दुर्गा का सबसे शक्तिशाली रूप हैं क्योंकि उन्हें योद्धा-देवी या भद्रकाली के रूप में भी जाना जाता है। छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे आपके आकर्षण शक्त्ति में वृद्धि होगी।

माता को लाल रंग प्रिय है। लाल रंग सुंदरता और निडरता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इस दिन माता को लाल फूल चढ़ाने और पूजा में लाल रंग की चीजों का इस्तेमाल करने से माता भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

नव देवियों के षष्ठम रूप कात्यानी का आशीष प्राप्त करने हेतु शुक्र गायत्री मंत्र का जाप करें।

शुक्र गायत्री मंत्र

ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि: प्रचोदयात् ॥

सप्तमी तिथि (नवरात्रि का सातवां दिन) :

इस दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। कालरात्रि शब्द का अर्थ है वह जो “काल की मृत्यु” है और यहाँ पर इसे मृत्यु कहा जाता है। देवी के इस रूप को सभी राक्षसों का नाश करने वाला माना जाता है। सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।

माता को नीला रंग अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार नीला रंग अपार शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

नव देवियों के सप्तम रूप कालरात्रि का आशीष प्राप्त करने हेतु नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करें।

नरसिंह गायत्री मंत्र

ॐ उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह प्रचोदयात् ॥

अष्टमी तिथि (नवरात्रि का आठवां दिन) :

नवरात्रि का आठवां दिन नौ दिनों में सबसे खास होता है। क्योंकि इस दिन महाष्टमी होती है, अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। देवी दुर्गा का यह रूप अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति रखता है। नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

माता को गुलाबी रंग बेहद प्रिय है। शास्त्रों में गुलाबी रंग आशा, करुणा और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इस दिन माता को गुलाबी रंग का फूल चढ़ाने और पूजा में गुलाबी रंग की चीजों का इस्तेमाल करन से माता भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होती हैं।

नव देवियों के अष्टम रूप महागौरी का आशीष प्राप्त करने हेतु शनि गायत्री मंत्र का जाप करें।

शनि गायत्री मंत्र

ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात ॥

नवमी तिथि (नवरात्रि का नौवां दिन) :

नवरात्रि का अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने का होता है। यह दो शब्दों से बना है ‘सिद्धि’ का अर्थ है अलौकिक शक्ति और ‘धात्री’ का अर्थ है पुरस्कार देने वाला। देवी का यह रूप ज्ञान दाता है और आपको अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त करने में मदद करता है। नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की‍ घटनाओं से बचाव भी होगा।

मां सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग अत्यंत प्रिय है। जो ऊर्जा, महत्वाकांक्षा और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन मां की पूजा अर्चना कर कन्या पूजन किया जाता है।

नव देवियों के नवम रूप सिद्धिदात्री का आशीष प्राप्त करने हेतु श्री राम गायत्री मंत्र का जाप करें।

श्री राम गायत्री मंत्र

ॐ दशारथाय विद्महे सीता बल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात ॥

नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का उच्चारण : 

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

नवार्ण मंत्र:

दुर्गा सप्तशती में नवार्ण मंत्र मूल मंत्र है जिसके बिना दुर्गा जी की उपासना पूर्ण नहीं मानी जाती। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है। अतः नवार्ण मंत्र नौ अक्षरों वाला मंत्र है,

‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे।’

नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है। नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम सुबह शाम तो अवश्य करना चाहिए।

नवरात्रि के उपवास के दौरान आपको इनका सेवन नहीं करना चाहिए

लहसुन, प्याज, गेहूं, चावल, दाल, मांस, अंडे और मसाले जैसे हल्दी (हल्दी), धनिया पाउडर, हींग, गरम मसाला, सरसों, लौंग आदि। सामान्य नमक से भी बचना चाहिए। इसके अलावा, सरसों या तिल के तेल जैसे गर्मी पैदा करने वाले तेलों को बाहर रखा जाना चाहिए। इसके अलावा, शराब और तंबाकू का सेवन सख्त वर्जित है।

नवरात्रि के उपवास के दौरान आपको इन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए

साबूदाना (साबूदाना), मखाना (लोमड़ी का आटा), सिंघारे का आटा, कुट्टू (एक प्रकार का अनाज), समा (बाजरा बाजरा), राजगिरा (ऐमारैंथ), मूंगफली (मूंगफली), दूध, दही, फल और सब्जियां जैसे आलू व्रत के दौरान कच्चा केला, अरबी, सूखे मेवे और मेवे।
इनके अलावा, नवरात्रि व्यंजनों में स्वाद जोड़ने के लिए जीरा (जीरा) और काली मिर्च (काली मिर्च) जैसे मसालों का उपयोग किया जा सकता है। मूंगफली का तेल या घी (स्पष्ट मक्खन) का प्रयोग करें। सेंधा नमक या सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।

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Conclusion

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FAQs : Chaitra Navratri Puja Vidhi 2025

चैत्र नवरात्रि कब है 2025 में?

चैत्र नवरात्रि की 30 मार्च 2025, रविवार से शुरुआत हो रही है जो 6 अप्रैल 2025 सोमवार को खत्म हो रही है।

चैत्र नवरात्रि 2025 अष्टमी तिथि कब है ?

चैत्र नवरात्रि 2024 अष्टमी तिथि 5 अप्रैल 2025 रविवार को है। इस दिन मां महागौरी की पूजा होती है।

चैत्र नवरात्रि 2025 में मां दुर्गा का वाहन क्या है?

चैत्र नवरात्रि 2025 में मां दुर्गा घोड़ें पर सवार होकर आएंगी।

चैत्र नवरात्रि 2025 नवमी कब है?

चैत्र नवरात्रि 2024 नवमी तिथि 6 अप्रैल 2025 सोमवार को है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

by Tripti Srivastava
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