हरतालिका तीज एक हिंदू त्योहार है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल हरतालिका तीज व्रत मंगलवार, 30 अगस्त को है। तीज व्रत का पारण 31 अगस्त को किया जाएगा। आइए जाने हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि और कथा के बारे में।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं माता गौरी से सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती हैं। दरअसल यह व्रत निर्जल रखा जाता है। इसी कारण यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।

Hartalika Teej 2022: जानें कब है हरतालिका तीज का त्योहार, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
ये व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. विवाहित महिलाएं अपने पति के जीवन में शांति और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह ऋंगार आदि करके भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करती हैं. इसके अलावा नए कपड़े पहनने के साथ श्रृंगार करती हैं और हाथों पर मेहंदी लगाती हैं। हरतालिका तीज व्रत के लिए मायके से महिलाओं के लिए श्रृंगार का समान, मिठाई, फल और कपड़े भेजे जाते हैं।
वहीं कुंवारी कन्याएं भी हरतालिका तीज व्रत रखती हैं। उनके द्वारा यह व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखा है। देवी पार्वती लंबी व कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव से विवाह कर पाई थीं। इसलिए अविवाहित लड़कियां भी अपने सपनों का जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
क्यों कहते हैं तीज व्रत को हरतालिका?
ये दो शब्दों से मिलकर बना होता है हरत एवं आलिका। हरत का तात्पर्य हरण से है और आलिका सखियों को संबोंधित करता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले गई थीं। जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था।
हरतालिका तीज के पीछे मान्यता यह भी है कि जंगल में स्थित गुफा में जब माता भगवान शिव की कठोर आराधना कर रही थी तो उन्होंने रेत के शिवलिंग को स्थापित किया था। मान्यता है कि यह शिवलिंग माता पार्वती द्वारा हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को स्थापित किया था इसी कारण इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत के दिन क्या करें (do these things on hartalika teej vrat)
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रती को गुस्सा नहीं करना चाहिए. खुद पर संयम रखना चाहिए. ऐसे में इन सब चीजों से बचने का सबसे अच्छा उपाय खुद को भगवान में लीन करना है. हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करें. पूजा-पाठ करें और खुद को अन्य चीजों से बचाएं. जैसे- झूठ बोलना, गुस्सा करना आदि. व्रत में ऐसा करना मना है. कहते हैं पूरा दिन और रात भगवान का जाप करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसमें रात को सोना भी मना होता है।

हरतालिका तीज मुहूर्त 2022 :
तृतीया तिथि प्रारम्भ | सोमवार 29 अगस्त शाम 03:20 बजे |
तृतीया तिथि समाप्त | मंगलवार 30 अगस्त शाम 03:33 बजे |
हरितालिका तीज प्रातःकाल पूजा मुहूर्त | सुबह 05:58 से 08:31 तक |
हरतालिका तीज संध्या पूजा मुहूर्त | शाम 03:49 से रात्रि 07:23 तक |
प्रदोषकाल हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त | 06:33 PM से 08:51 PM |
हरतालिका तीज व्रत का पारण | बुधवार 31 अगस्त |
हरतालिका तीज पर शुभ योग
हरतालिका तीज इस बार 30 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन बेहद ही शुभ योग बन रहे हैं और योग में पूजा करने से जातक को लाभदायक फल प्राप्त होगा. हरतालिका तीज पर शुभ योग दोपहर 1 बजकर 4 मिनट पर शुरू होगा और 31 अगस्त को 12 बजकर 4 मिनट तक रहेगा. इस योग में भगवान भोलेनाथ का पूजन करने से विशेष लाभ मिलता है.
इसके अलावा हरतालिका तीज पर हस्त नक्षत्र भी रहेगा और शास्त्रों में हस्त नक्षत्र को बेहद ही शुभ माना गया है. हस्त नक्षत्र में 5 तारे आशीर्वाद की मुद्रा में नजर आते हैं. इस नक्षत्र में यदि अखंड सौभाग्य और उत्तम वर की प्राप्ति के लिए पूजा की जाए तो अधिक फलदायी माना जाता है.
हरतालिका तीज की पूजा सामग्री : Hartalika Teej Puja Samagri
- गीली काली मिट्टी
- चौकी
- लाल या पीले रंग का कपड़ा
- बेलपत्र
- शमी पत्र
- केले का पत्ता
- धतूरे का फल एवं फूल
- आंक का फूल
- मंजरी
- जनेऊ
- वस्त्र
- फल
- नारियल
- सुपारी
- पानी से भरा कलश
- घी
- कपूर
- कुमकुम
- चंदन
- अबीर
- दीपक
- सिंदूर
- सुहाग का सामान
दान करने के लिए सामग्री : Hartalika Teej Daan Samagri
हरतालिका तीज व्रत में सुहाग का सामान चढ़ाया जाता है। जिसमें बिछिया, चूड़ी, माहौर, पायल, कुमकुम, मेहंदी, सिंदूर कंघी, कुमकुम और अबीर आदि मां पार्वती के समक्ष रखा जाता है।
हरतालिका तीज पूजा विधि में क्या करना चाहिए
इस दिन महिलाएं जल्दी स्नान करती हैं, नए, सुंदर कपड़े पहनती हैं। प्रात:काल पूजा करना शुभ होता है, लेकिन यदि ऐसा न हो तो प्रदोष काल में की जा सकती है। शिव और पार्वती की मूर्तियां रेत से बनाई जाती हैं। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है फिर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। सुहाग की विभिन्न वस्तुएं व प्रसाद आदि चढ़ाकर आरती की जाती है। हरतालिका व्रत कथा का पाठ किया जाता है।
अधिकांश महिलाएं हरतालिका तीज पर रात्रि जागरण भी करती हैं। इसके बाद अगले दिन सुबह स्नान आदि करके मां गाैरी से सुहाग लेती हैं। इसके बाद जल ग्रहण करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि: Hartalika Teej Vrat ki Puja Vidhi
• सुबह जल्दी उठें और स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
• इस व्रत की पूजा प्रदोषकाल में की जाती है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
• अब बालू रेत से भगवान गणेश, शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। कई लोग भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बनी बनाई मूर्ति का पूजन भी करते हैं।
• पूजा स्थल को अच्छे से सजा लें और एक चौकी रखें। लाल कपड़ा बिछाएं.
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि की जानकारी
• एक चौकी पर अक्षत (चावल) से अष्टदल कमल की आकृति बनाएं।
• उस पर भगवान शंकर, माता पार्वती औक गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
• अब कलश के ऊपर स्वास्तिक बनाएं और जल भरकर उसमें सुपारी, अक्षत, सिक्के डालें। उस कलश की स्थापना अष्टदल कमल की आकृति पर करें। कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाकर नारियल रखें।
• चौकी पर पान के पत्तों पर चावल रखें।. चौकी पर केले के पत्ते रखें और उसके ऊपर प्रतिमा जी स्थापित करें.
• इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करें और भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का विधि विधान पूजन करें।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि नियम
• घी का दीपक, धूप जलाएं। उसके बाद भगवान शिव को उनके प्रिय बेलपत्र धतूरा भांग शमी के पत्ते आदि अर्पित करें।
• अब चंदन अर्पित करें, धूप, फूल, दीप, पान के पत्ते, फल, मिठाई और मेवे आदि चढ़ा दें.
• माता पार्वती को फूल माला चढ़ाएं गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।
• माता पार्वती की आरती उतारें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं। गणेश जी, और भगवान शिव को तिलक लगाएं।
• भगवान गणेश, माता पार्वती को पीले चावल और शिव जी को सफेद चावल अर्पित करें
• देवी पार्वती की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें- ऊं शिवायै नम:,ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
• भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें- नम: शिवाय, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम::, श्री रुद्राय नम:, ॐ पार्वतीपतये नम:
• इसके बाद तैयार की गई सुहाग की पिटारी को माता पार्वती को चढ़ाएं। शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाएं।
• फिर हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनें और पढ़ें, आखिर में आरती करके पूजा को संपन्न करें और रात्रि भर जागरण करे ।
• सुहाग सामग्री को सास के चरण स्पर्श कराकर किसी ब्राह्मणी को दान कर दें।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि क्या है
हरतालिका तीज व्रत के नियम:
- इस व्रत में पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता। व्रत रखने वाली महिलाएं अगले दिन जल ग्रहण करती हैं।
- अगर एक बार ये व्रत शुरू कर दिया है तो फिर इसे छोड़ा नहीं जा सकता। हर साल इस व्रत को विधि विधान रखना होता है।
- व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन सोना नहीं चाहिए और रात्रि भर जागरण करना चाहिए।
- इस व्रत को कुंवारी कन्या अच्छे वर की प्राप्ति के लिए तो शादीशुदा स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
गर्भवती महिलाएं कैसे रखें हरतालिका तीज का व्रत
गर्भावस्था में हरतालिका तीज का व्रत करते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि निर्जल व्रत ना रखें। व्रत के दौरान नारियल पानी, दूध व जूस जैसे पेय पदार्थ लेते रहें ताकि शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों को कमी ना हो पाए।
हरतालिका तीज के दिन न करें ये काम
• हरतालिका तीज का व्रत रखते समय बेहद सावधानी की जरूरत होती है. भविष्य पुराण में इन सभी नियमों के बारे में बताया गया है. तो अगर आप पहली बार हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं, तो इन नियमों पर एक नजर जरूर डाल लें.
• हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली प्रत्येक महिला को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे रात को सोए नहीं. इस व्रत में रात भर जागरण किया जाता है और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती हैं. कहते हैं कि अगर कोई व्रत के दिन सो जाता है, तो वे अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म लेती है.
क्या है हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
• अगर आपने हरतालिका व्रत एक बार शुरू कर दिया, तो इसे आप छोड़ नहीं सकते. हरतालिका तीज का व्रत आपको हर साल रखना पड़ेगा और पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.
• व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन खुद को क्रोध से दूर रखें. कहते हैं हरतालिका तीज के व्रत में महिलाओं को खुद पर संयम रखना चाहिए. क्रोध बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
• हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे अपशब्द का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.
• व्रत के दिन पति से झगड़ा करना भी नहीं करना चाहिए. हो सके तो विवादों की बातों को ज्यादा तूल न दें और बातों को इग्नोर करें. बाद में मिल बैठकर प्यार से बातों को सुलझा लें
यह भी जरुर पढ़ें :
सुख समृद्धि के लिए तवे से जुड़े 12 अत्यंत जरूरी वास्तु टिप्स
Karorpati Bana Dega Jhaadu Ka Ye Chamatkari Totka
हरतालिका तीज व्रत कथा
हरतालिका का शाब्दिक अर्थ की बात करें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है हरत और आलिका, हरत का अर्थ होता है अपहरण और आलिका अर्थात् सहेली, इस संबंध में एक पौराणिक कथा मिलती है जिसके अनुसार – एक दिन भगवान शिव माता पार्वती को अपने मिलन की कथा सुनाते हैं| वे बताते हैं पार्वती तुमने मुझे अपने पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया; किन्तु मुझे पति के रूप में पा न सकीं| 108 वीं बार तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया|
शिवजी कहते हैं – पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था| इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया| तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे| तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी| भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की|
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है| अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे|” पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गये|
कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ हमारा विवाह किया|” “हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका| इस व्रत का महत्त्व यह है कि इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मैं मन वांछित फल देता हूँ| भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होती|
कब खोलें व्रत (vrat paran time)
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं बिना पानी पिए और निराहार भगवान के नाम का जाप करती हैं. रात भर भगवान शिव की उपासना और भजन कीर्तन किए जाते हैं. भगवान का ध्यान किया जाता है. इसके बाद अगले सुबह स्नान के बाद पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है. पूड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
FAQ
हरतालिका तीज व्रत क्यों करते हैं ?
ये व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. विवाहित महिलाएं अपने पति के जीवन में शांति और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
क्यों कहते हैं तीज व्रत को हरतालिका ?
ये दो शब्दों से मिलकर बना होता है हरत एवं आलिका। हरत का तात्पर्य हरण से है और आलिका सखियों को संबोंधित करता है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले गई थीं।
हरतालिका तीज व्रत का पारण कब करते हैं ?
हरतालिका तीज की अगली सुबह स्नान के बाद पूजा-आरती करने के बाद जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है. पूड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।