Karwa Chauth Vrat 2021 Date and Time in Hindi- करवा चौथ व्रत तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा
Contents.....
- Karwa Chauth Vrat 2021 Date and Time in Hindi- करवा चौथ व्रत तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा
- करवाचौथ का इतिहास : Karwa Chauth Vrat 2021 History
- Karwa Chauth Vrat 2021 Hindi : करवा चौथ क्यों मनाया जाता है
- करवा चौथ 2021 तिथि : Karwa Chauth Vrat 2021 Date and Time
- करवा चौथ 2021 पर बन रहा ये शुभ संयोग – Karwa Chauth Vrat shubh muhurt
- करवा चौथ व्रत नियमः Karva Chauth Vrat Rules 2021
- क्या होती है सरगी? What is Sargi in Karwa Chauth Vrat
- करवा चौथ 2021 पूजा मुहूर्त : Karwa Chauth Vrat moon rise time
- करवा चौथ पूजा सामग्री – Karwa Chauth Vrat 2021 Puja Samagri
- करवा चौथ की पूजा विधि – Karwa Chauth Vrat 2021 pujan vidhi
- करवा चौथ व्रत कथा – Karwa Chauth Vrat Story
- Karwa Chauth Mata ki Aarti: करवा चौथ आरती
- करवा चौथ पर छलनी से चांद क्यों देखा जाता है
- Karwa Chauth Vrat Dress – करवा चौथ पर राशि के अनुसार रंग चुनकर पहनें कपड़े
- Karwa Chauth Vrat 2021- Dos and Don’ts
- FAQs
करवा चौथ व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। करवा चौथ हिन्दुओं का एक बहुत प्रमुख त्योहार है, जिसे शादीशुदा महिलाएं धूम-धाम से मनाती हैं. करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक का निर्जला उपवास रखती हैं. इस साल 24 अक्टूबर, 2021 रविवार को (करवाचौथ) Karva Chauth Vrat पड़ रहा है.

करवा चौथ के दिन माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करने का विधान है। अगर आप भी करवा चौथ व्रत की तैयारी कर रही हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि करवा चौथ की सही तिथी क्या है, पूजा मुहूर्त और चन्द्र अर्घ्य का समय क्या है और कैसे इस व्रत की पूजा की जाती है।
करवाचौथ का इतिहास : Karwa Chauth Vrat 2021 History
करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। युद्ध के दौरान देवों को विजयी बनाने के लिए ब्रह्मा जी ने देवों की पत्नियों को को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखने का सुझााव दिया था। ब्रह्मदेव ने वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी।
ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों यानी देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी थी और आकाश में चांद भी निकल आया था। मान्यता है कि तभी से करवा चौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई।

यह भी कहा जाता है कि करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री के नाम पर ही करवा चौथ का नाम पड़ा है। करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था तभी एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी हुई आई और आकर उसदे मगरम्छ को कच्चे धागे से बांध दिया।
मगर को बांधकर वो यमराज के यहां पहुची गई और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैर पकड़ने के अपराध में आप नरक में ले जाओ। यमराज बोले, ‘लेकिन अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता।
इस पर करवा बोली, ‘अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूंगी।’ सुनकर यमराज डर गए और उन्होंने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु रहने का आशीर्वाद दे दी। तभी से उस महिला को करवा माता कहने लगे।
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Karwa Chauth Vrat 2021 Hindi : करवा चौथ क्यों मनाया जाता है
करवा चौथ के व्रत और पूजा को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. करवा चौथ से जुड़ी एक किवदंती द्रौपदी से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या के लिए गए थे और बाकी चारों पांडवों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. द्रौपदी ने यह परेशानी भगवान श्रीकृष्ण को बताई और अपने पतियों के मान-सम्मान की रक्षा का उपाय पूछा.
भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी जिसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल वापस आए और बाकी पांडवों के सम्मान को भी कोई हानि नहीं हुई.
Karva Chauth Vrat 2021 – करवा चौथ व्रत 2021
कहा जाता है कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी सावित्री ने उनसे अपने पति के प्राणों की भीख मांगी और निवेदन किया कि वह उसके सुहाग को न लेकर जाएं. लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी, जिसके बाद सावित्री ने अन्न-जल त्याग दिया और अपने पति के शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी.
पतिव्रता सावित्री के इस तरह विलाप करने से यमराज पिघल गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि वह अपने पति सत्यवान के जीवन की बजाय कोई और वर मांग ले. सावित्री ने यमराज से कहा कि मझे कई संतानों की मां बनने का वर दें और यमराज ने हां कह दिया. पतिव्रता होने के नाते सावित्री अपने पति सत्यवान के अतिरिक्त किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती थी.
जिसके बाद यमराज ने वचन में बंधने के कारण सावित्री को सत्यवान का जीवन सौंप दिया. कहा जाता है कि तभी से सुहागिनें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने अखंड सौभाग्य के लिए अन्न-जल त्यागकर करवा चौथ के दिन व्रत करती हैं.
करवा चौथ 2021 तिथि : Karwa Chauth Vrat 2021 Date and Time
करवा चौथ तिथि कब है? | रविवार, 24 अक्टूबर, 2021 |
करवा चौथ तिथि का प्रारंभ कब है? | 03:01 AM, 24 अक्टूबर 2021 |
करवा चौथ पूजा का अशुभ मुहूर्त क्या है? | 04:18 PM से 05:44 PM तक |
करवा चौथ पूजा – शुभ मुहूर्त समय क्या है? | 06:03 PM से 07:15 PM |
करवा चौथ के दिन चंद्रोदय समय कब है? | 08:07 PM |
करवा चौथ तिथि समापन समय कब है? | 05:43 AM, 25 अक्टूबर 2021 |
करवा चौथ 2021 पर बन रहा ये शुभ संयोग – Karwa Chauth Vrat shubh muhurt
पांच साल बाद फिर इस करवा चौथ पर शुभ संयोग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है। करवा चौथ पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा और देर रात 1 बजकर 2 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। धार्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बेहद शुभ माना जाता है।
इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और माना जाता है कि चंद्र दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है। इस बार 24 अक्टूबर करवाचौथ के दिन रात 11 बजकर 35 मिनट तक वरीयान योग रहेगा. ये योग मंगलदायक कार्यों में सफलता प्रदान करता है.
इस बार विशेष फलदायी होगा करवा चौथ व्रत 2021
इस बार करवाचौथ का व्रत और पूजन बहुत विशेष है। ज्योतिषों के मुताबिक इस बार 70 साल बाद करवाचौथ पर ऐसा योग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र और मंगल एक साथ: इस बार रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है। ज्योतिष के मुताबिक इस बार करवा चौथ पर बन रहा है विशेष मंगलकारी योग. यह योग करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। तो वहीं रविवार का दिन होने की वजह से सूर्य देव का भी व्रती महिलाओं को आशीर्वाद प्राप्त होगा.इससे पूजन का फल हजारों गुना अधिक होगा।
करवा चौथ व्रत नियमः Karva Chauth Vrat Rules 2021
करवा चौथ व्रत की शुरुआत सरगी से होती है. इस उत्सव में सरगी की प्रमुख भूमिका होती है. सरगी का सेवन हमेशा ब्रह्म मुहूर्त के दौरान किया जाता है जो सूर्योदय से पहले होता है. इस दिन महिलाएं सरगी खाती हैं और फिर पूरे दिन उपवास करती हैं, जब तक कि चंद्रोदय नहीं हो जाता. यह सास द्वारा अपनी बहुओं के लिए तैयार की जाने वाली एक स्पेशल थाली है. जिसमें फूड, ‘श्रृंगार’ के लिए साड़ी और अन्य चीजें शामिल होती हैं.
उपवास वाले दिन महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति को शकर, दूध, दही, चावल और सफेद वस्त्र नहीं देने चाहिए। हैं। करवा चौथ पर मंगलसूत्र का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है मंगलसूत्र पति के जीवन की रक्षा करता है और उन पर आने वाले सभी संकटों को दूर करता है।
क्या होती है सरगी? What is Sargi in Karwa Chauth Vrat
सरगी वो भोजन है जो विवाहित महिलाओं को सूर्योदय से पहले खानी होती है. सरगी में स्वादिष्ट फूड्स होते हैं जो महिला को दिनभर भरा रखने में मदद कर सकते हैं. इस सरगी में फेनिया, फ्रूट, ड्राईफ्रूट, नारियल आदि रखे होते हैं। जिसको खाने के बाद दिनभर निर्जला उपवास रहा जाता है और फिर रात में चांद की पूजा करने के बाद ही खाया जाता है।

सरगी की थाली में ऐसी चीजें होती है जिसे खाने से भूख और प्यास कम लगती है और दिनभर एनर्जी बनी रहती। सरगी व्रत के दौरान महिला को पूरे दिन ऊर्जावान रहने में मदद करती है.
करवा चौथ 2021 पूजा मुहूर्त : Karwa Chauth Vrat moon rise time
इस वर्ष करवा चौथ पूजा का मुहूर्त 01 घंटा 17 मिनट का है। आप करवा चौथ के दिन शाम को 06 बजकर 03 मिनट से शाम 07 बजकर 15 मिनट के मध्य चौथ माता यानी माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय का विधिपूर्वक पूजन कर लें। इस साल करवा चौथ के दिन चंद्रमा के उदय होने का समय रात 08 बजकर 07 मिनट पर है।
आप रात 08:07 बजे चंद्रमा की पूजा करें और फिर दूध, अक्षत्, पुष्प मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर उनकी पूजा करें और अर्घ्य दें। पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करें। उसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
करवा चौथ के दिन राहुकाल का समय अर्थात 24 अक्टूबर को 16:18:41 से 17:43:11 तक राहुकाल रहेगा. इस समय शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. क्यों ऐसे में किये गए कार्यों का फल शुभदायक नहीं होता है.
करवा चौथ पूजा सामग्री – Karwa Chauth Vrat 2021 Puja Samagri
करवा चौथ व्रत की पूजा के लिए व्रत रखने वाली महिलाओं को चाहिए कि पूजा के पहले इस पूजन समाग्रियों से पूजा की थाली जरूर सजा लें.
करवा चौथ व्रत के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा और उसका ढक्कन, सरई, गंगाजल, पानी के लिए एक लोटा,चन्दन, यज्ञोपवीत, नारा, रूई, अगरबत्ती, बताशे, कपूर, घी का दीपक,, रोली, अक्षत, फूल, चंदन, कुमकुम, गाय का कच्चा दूध, दही, देसी घी, गेहूं या चावल, मिठाई, शहद, चीनी, पिसी हल्दी,, चीनी का बूरा, माता गौरी को बनाने के लिए पीली मिट्टी या गाय का गोबर, चंद्रमा को जल अर्पित करने के लिए छलनी, लकड़ी के आसन आदि की आवश्यकता पड़ती है।
इसके अतिरिक्त सुहाग की सामग्री जैसे मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, बिछुआ, चुनरी आदि भी खरीदनी होती है। पूजा में 8 पूरियों की अठावरी, हलुआ, गुलगुला आदि भी लगता है। पूजा के अंत में दक्षिणा देने के लिए कुछ रुपये रख लें।
करवा चौथ की पूजा विधि – Karwa Chauth Vrat 2021 pujan vidhi
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. तैयार हो कर करवा चौथ के व्रत का संकल्प लें. पूरे दिन निर्जला रहें।
पूड़ी, हलुआ, गुलगुला, खीर और पक्के पकवान बनाएं।
पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर दें.
करवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करलें और लकड़ी की चौकी बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें.
उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें थोड़े-से अक्षत डालें.
इसके बाद कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें.
करवा चौथ की पूजा के दौरान मां पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं और सुंदर वस्त्रों और श्रृंगार की चीजों से उन्हें सजाएं.
फिर पूरे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें.
घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग लगाएं.
Karwa Chouth Fast Date 2021
गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।
वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। उस करवे के गले में नारा लपेटकर सिंदूर से रंगना चाहिए
उसकी टोंटी में सरई ( एक प्रकार का तृण) की सींक लगानी चाहिए।
तदनन्तर करवे के ऊपर चावल से भरा हुआ कटोरा रखकर सुपारी भी रखनी चाहिए।
नैवेद्य के रूप में उस पर चावल का बना
हुआ लड्डू (शंकरपिण्डी) रखें।
इसके अतिरिक्त प्रतिमा के पास खीर, पूड़ी, फारा भी रखें।
करवा में गेहूं या चावल और ढक्कन में शक्कर का बूरा, 2 पूड़ी, हलुआ और दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं।
करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
13 दाने गेहूं या चावल के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें. चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें
रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
पूजा खत्म होने के बाद पति से आशीर्वाद लें। पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें.
उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।
पूजा के बाद घर के बड़ों का पैर छू कर आशीर्वाद लें.
करवा चौथ पूजन पर इन मंत्रों को जपें- Karwa Chauth Vrat Mantra
‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’
* श्रीगणेश का मंत्र – ॐ गणेशाय नमः
* पार्वतीजी का मंत्र – ॐ शिवायै नमः
* शिव का मंत्र – ॐ नमः शिवाय
* स्वामी कार्तिकेय का मंत्र – ॐ षण्मुखाय नमः’
* चंद्रमा का पूजन मंत्र – ॐ सोमाय नमः
*’नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
करवा चौथ व्रत कथा – Karwa Chauth Vrat Story
बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वो पहले उसे खाना खिलाते और बाद में खुद खाते। एक बार उनकी बहन करवा ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी।
सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
ऐसे में सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं गई और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा लगता है कि जैसे चतुर्थी का चांद हो। भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो।
बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है। वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। इससे वह बौखला जाती है।
तब उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है। सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी।
Karva Chauth Vrat Katha
वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है। एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो ‘ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है।

सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है।
इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने लगती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है। अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है।
करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।
करवा चौथ पौराणिक व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था. उसके सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी. इकलौती बेटी होने के कारण वो सभी की लाडली थी. जब वीरावती शादी के लायक हो गई, तो उसके पिता ने उसकी शादी एक ब्राह्मण युवक से कर दी. शादी के बाद वीरावती अपने मायके आयी हुई थी, तभी करवा चौथ का व्रत पड़ा.
वीरावती अपने माता-पिता और भाइयों के घर पर ही थी.
उसने पहली बार पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा. लेकिन वो भूख प्यास बर्दाश्त नहीं कर पाई और मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ी. बहन का कष्ट उसके सात भाइयों से देखा नहीं गया. ऐसे में उन्होंने छलनी में एक दीपक रखकर उसे पेड़ की आड़ से दिखाया और बेहोश हुई वीरावती जब जागी तो उसे बताया कि चंद्रोदय हो गया है. छत पर जाकर चांद के दर्शन कर ले. वीरावती ने चंद्र दर्शन कर पूजा पाठ किया और भोजन करने के लिए बैठ गई.
पहले कौर में बाल आया, दूसरे में छींक आई और तीसरे कौर में उसे अपने सुसराल वालों से निमंत्रण मिला. ससुराल के निमंत्रण पाकर वीरावती एकदम से ससुराल की ओर भागी और वहां जाकर उसने अपने पति को मृत पाया. पति की हालत देखकर वो व्याकुल होकर रोने लगी. उसकी हालत देखकर इंद्र देवता की पत्नी देवी इंद्राणी उसे सांत्वना देने पहुंची और उसे उसकी भूल का अहसास दिलाया.
साथ ही करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल आने वाली चौथ के व्रत करने की सलाह दी. वीरावती ने ऐसा ही किया और व्रत के पुण्य से उसके पति को पुन: जीवनदान मिल गया.
Karwa Chauth Mata ki Aarti: करवा चौथ आरती
ॐ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।।
ॐ जय करवा मइया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।।
ॐ जय करवा मइया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।।
ॐ जय करवा मइया।
होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ॐ जय करवा मइया।
करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ॐ जय करवा मइया।
करवा चौथ पर छलनी से चांद क्यों देखा जाता है
भविष्य पुराण के अनुसार चौथ का चांद देखना वर्जित होता है. चौथ का चांद देखने से मिथ्या आरोप लग सकता है या फिर कहें कि कोई झूठा आरोप लग सकता है. वहीं करवा चौथ भी चौथ की ही तिथि है. यही कारण है कि चांद को इस दिन खाली देखने की बजाए किसी वस्तू (छलनी) का इस्तेमाल करके देखा जाता है. चांद निकलने पर महिलाएं छलनी में दीया रखकर चांद और फिर पति के चेहरे की ओर देखती हैं.
ये भी माना जाता है कि जब महिलाएं चांद को देखती हैं और फिर पति के चेहरे को छलनी में दीपक रखकर देखती हैं, तो उससे निकलने वाला प्रकाश सभी बुरी नजरों को दूर करता है. साथ ही जब दीपक की पवित्र रोशनी साथी के चेहरे पर पड़ती है तो पति-पत्नी के रिश्ते में सुधार आता है. कहा जाता है कि हाथ में छलनी लेकर चंद्रमा को देखने के बाद पति को देखकर ही करवा चौथ का व्रत खोलने की परंपरा है.
Karwa Chauth Vrat Dress – करवा चौथ पर राशि के अनुसार रंग चुनकर पहनें कपड़े
करवा चौथ के दिन राशि के अनुसार वस्त्र पहनने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
1. मेष राशि की महिलाएं करवा चौथ के दिन गोल्डन रंग की साड़ी, लहंगा या सूटकर पूजा करें।
2. वृषभ राशि की महिलाओं का सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा।
3. करवा चौथ के दिन मिथुन राशि की महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
4. कर्क राशि के लिए करवा चौथ के दिन शुभ रंग लाल है।
5. सिंह राशि वालों के लिए लाल, ऑरेंज या गोल्डन रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
6. करवा चौथ के दिन कन्या राशि की महिलाएं लाल, हरी या गोल्डन रंग की साड़ी पहनें।
7. तुला राशि की महिलाएं लाल, गोल्डन या सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करें।
8. वृश्चिक राशि की महिलाओं के लिए लाल रंग सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन आप महरून या गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा कर सकती हैं।
9. धनु राशि की महिलाओं को आसमानी या पीले रंग के वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है।
10. मकर राशि वालों के लिए नीला रंग शुभ माना जाता है।
11. कुंभ राशि की महिलाएं नीले रंग या सिल्वर कलर के वस्त्र धारण कर सकती हैं।
12. मीन राशि की महिलाएं पीले या गोल्डन कलर के कपड़े पहनकर पूजा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
करवा चौथ पर इन रंगों के वस्त्र धारण करना माना जाता है शुभ-
करवा चौथ वाले दिन सुहागिन महिलाओं को विशेष तौर पर लाल परिधान ही पहनने चाहिए क्योंकि लाल रंग हिन्दू धर्म में शुभ का प्रतीक माना जाता है। इसके अतिरिक्त केसरिया, पीला, हरा, गुलाबी, मेजेंटा और महरून रंग पहने जा सकते हैं। इस दिन महिलाएं इन्हीं में से किसी रंग के कपड़े पहन सकती हैं. जहां तक संभव हो अपनी शादी का जोड़ा ही व्रत के दिन पहनें, इसे और उत्तम माना जाता है।
करवा चौथ पर भूलकर भी इन रंगों के कपड़े न पहनें
करवा चौथ सौभाग्य का प्रतीक है. इस दिन कुछ बातों को ध्यान में रखने के साथ ही कपड़ो के रंग का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानें, सुहागन स्त्रियों को करवा चौथ पर किन रंगो के कपड़े भूलकर भी नहीं पहनने चाहिए :
सफेद रंग –
ऐसी मान्यता है कि सुहागन महिलाओं को सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ये रंग वैसे तो शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है. श्रृंगार के किसी पर्व पर सफेद रंग के कपड़ों को पहनना वर्जित माना जाता है. इसलिए करवा चौथ के दिन महिलाओं को सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
भूरा रंग –
भूरे रंग को उदासी भरा रंग माना जाता है. यह रंग राहु और केतु का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए करवा चौथ के दिन भूरे रंग के कपड़ों को पहनना वर्जित माना जाता है. त्योहार पर कोशिश यह होनी चाहिए कि आंखों को सुंदर लगने वाले रंग ही पहने जाएं। अत: करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों को भूरा रंग पहनने से बचना चाहिए।
काला रंग –
करवा चौथ के दिन सुहागन महिलाओं को काले रंग के कपड़े बिल्कुल भी नहीं पहनने चाहिए. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान काले रंग को धारण करना शुभ नहीं माना जाता है. यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि मंगलसूत्र के काले दाने के अलावा इस दिन किसी काले रंग का प्रयोग न करें।
नीला रंग :
यह रंग अत्यंत खूबसूरत है लेकिन उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में मोर की गर्दन वाले नीले रंग को पूजा कार्यों में नहीं शामिल किया जाता है। अत: इस दिन इस रंग के कपड़े पहनने से बचें।
Karwa Chauth Vrat 2021- Dos and Don’ts
करवा चौथ 2021: क्या करें?
• सूर्योदय से व्रत शुरू होने पर महिलाओं को जल्दी उठना चाहिए.
• सुबह के समय उन्हें बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.
• सूर्योदय से पहले सरगी खाना चाहिए, जिसमें सास द्वारा दिए गए खाद्य पदार्थ शामिल हों.
• लाल, नारंगी और पीले रंग को शुभ माना जाता है, महिलाओं को इन रंगों की पोशाक को प्राथमिकता देनी चाहिए.
• व्रत की सकारात्मकता के लिए महिलाओं को अपने भीतर और परिवार के सदस्यों के बीच शांति बनाए रखनी चाहिए.
• चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए.
करवा चौथ 2021: क्या न करें?
• इस दिन साज-सज्जा और श्रृंगार की चीजों का आदान-प्रदान उचित नहीं है. इसलिए इन सभी बातों का अच्छी तरह से ध्यान रखें.
• इस दिन कैंची और सुई का प्रयोग वर्जित है.
• महिलाओं को किसी को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए और अपनी जीभ पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए.
• महिलाओं को दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि ये शुभ नहीं होता है.
Conclusion
दोस्तों, इस Post में हमने करवा चौथ शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र व चन्द्र-अर्घ्य समय ( Karwa Chauth Vrat 2021) के बारे में बताया। हमारी ये पोस्ट कैसी लगी, कृपया कमेन्ट करके बताएं। अगर पोस्ट अच्छी लगी हो या आपको इस Post से related कोई सवाल या सुझाव है तो नीचे Comment करें और इस Post को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
नोट :
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”
FAQs
करवा चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है?
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
क्या होता है करवा?
करवा मिट्टी का टोंटीदार बरतन होता है.
करवा चौथ पर छलनी से चांद क्यों देखा जाता है
भविष्य पुराण के अनुसार चौथ का चांद देखना वर्जित होता है. यही कारण है कि चांद को इस दिन खाली देखने की बजाए किसी वस्तू (छलनी) का इस्तेमाल करके देखा जाता है.
क्या होती है सरगी?
सरगी वो भोजन है जो विवाहित महिलाओं को सूर्योदय से पहले खानी होती है. सरगी में स्वादिष्ट फूड्स होते हैं जो महिला को दिनभर भरा रखने में मदद कर सकते हैं.
करवा चौथ में किसकी पूजा की जाती है
करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिक की पूजा की जाती है।