Sharad Purnima 2022 Date, Vrat Katha | शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Sharad Purnima 2022:

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022) कहा जाता है। यह शरद ऋतु मौसम में आता है और अश्विन महीने में पूर्णिमा को मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा कब है? Sharad Purnima 2022 – जानें डेट, टाइम और शुभ मुहूर्त।

Table of Contents

Sharad Purnima 2022

इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर 2022, रविवार को है।  इस दिन को रास पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता हैं इस दिन चंद्रमा की किरण अमृत के समान होता है इसलिए ये किरणें हमलोगो के स्वास्थ्य तथा समृद्धि के लिए बहुत लाभकारी होती हैं।

HIGHLIGHTS :

  • ऐसी मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है.
  • मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है.
  • शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत के नाम से भी जानते हैं
  • इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण माना जाता है
  • भक्त इस दिन एक दिन का उपवास रखते हैं और पूजा करने और शरद पूर्णिमा व्रत कथा सुनने के बाद उपवास तोड़ते हैं।

 

शरद पूर्णिमा में चन्द्रमा का महत्त्व

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा ( Moon) पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, इस कारण चन्द्रमा की किरणें बहुत ही तीक्ष्ण और चमकीली होती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है।

ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं में उपस्थित होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक मनुष्य का व्यक्तित्व चन्द्रमा की कला से जुड़ी होती है। चन्द्रमा की यह 16 विभिन्न कलाओं का संयोजन व्यक्ति को एक परिपूर्ण व्यक्तित्व बनाता है।

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात ऐरावत पर बैठ कर देवराज इन्द्र महालक्ष्मी के साथ धरती पर आते हैं और देखते हैं कि कौन जाग रहा है. जो जाग रहा होता है और उनका स्मरण कर रहा होता है, उसे ही लक्ष्मी और इन्द्र की कृपा प्राप्त होती है।

Sharad Purnima 2022 : शरद पूर्णिमा का महत्त्व

हिन्‍दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है। शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सबसे धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण पूर्णिमा की रातों में से एक है। मां लक्ष्‍मी (Maa Laxmi) की कृपा पाने के लिए साल में कुछ दिन बहुत खास होते हैं. इसमें शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) भी शामिल है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर अपनी कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं।

शास्‍त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्‍मी इसी दिन प्रकट हुईं थीं। शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है। यह दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा करने के लिए और उनको प्रसन्‍न करने के लिए बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है।

भगवान कृष्ण और रास पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा का उत्सव भगवान कृष्ण के साथ भी जुड़ा हुआ है। इसे रास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस विश्वास के कारण कि शरद पूनम की रात, भगवान कृष्ण ने अपनी गोपियों के साथ महा-रास के रूप में जाना जाने वाला दिव्य नृत्य किया था।

शरद पूर्णिमा की रात, कृष्ण की बांसुरी का दिव्य संगीत सुनकर, वृंदावन की गोपियाँ अपने घरों और परिवारों से दूर रात भर कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिए जंगल में चली गईं। रास पूर्णिमा बृज और वृंदावन में बड़े पैमाने पर मनाई जाती है।

शरद पूर्णिमा की रात भ्रमण के लिए निकलती हैं मां लक्ष्मी

शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं. जिसका अर्थ है कि कौन जाग रहा है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की सफेद रोशनी में धन की देवी माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवारी करते हुए घूमने के लिए निकलती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है. यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी के साधक सारी रात जगकर उनकी साधना-आराधना करते हैं।

Sharad Purnima 2021 Raas Purnima
Sharad Purnima 2022 Ras Purnima

 

Sharad Purnima 2022 Date : शरद पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा तिथि

9 अक्टूबर 2022, रविवार

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ

9 अक्टूबर 2022, सुबह 3 बजकर 41 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त 

10 अक्टूबर 2022 को सुबह 2 बजकर 24 मिनट पर

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय 

शाम 5 बजकर 51 मिनट पर

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Sharad Purnima 2022 : शरद पूर्णिमा का व्रत

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति शरद पूर्णिमा का व्रत रखते हुए पूरी रात देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, तो उसकी जन्म कुंडली या कुंडली में लक्ष्मी योग नहीं होने पर भी उसे अपार धन और समृद्धि प्राप्त होती है।

इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही व्यक्ति की सभी समस्याओ से निजात मिल जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो विवाहित स्त्रियां संतान प्राप्ति के उद्देश्य से यदि व्रत रखती है तो उसे निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है। यही नहीं यदि माताएं अपने बच्चों के दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती है तो निश्चित ही उनके संतान दीर्घायु होती है।

यदि कुंवारी कन्याएं यह शारद पूर्णिमा व्रत रखती हैं तो उन्हें सुयोग्य और उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

शरद पूर्णिमा व्रत क्यों किया जाता है

इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और वरदान देती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से लोगों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। इस रात्रि की मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए संसार में विचरती हैं और मन ही मन संकल्प करती हैं कि इस समय भूतल पर कौन जाग रहा है? जागकर मेरी पूजा में लगे हुए उस मनुष्य को मैं आज धन दूँगी।

Sharad Purnima 2022 : शरद पूर्णिमा के दिन क्यों बनाते हैं खीर?

शरद पूर्णिमा में रात को गाय के दूध से बनी खीर या केवल दूध छत पर रखने का प्रचलन है. ताकि चंद्रमा की सभी सकारात्मक और दिव्य किरणों को इकट्ठा किया जा सके। चंद्रमा की किरणों में इस दिन औषधीय गुण की मात्रा सबसे ज्यादा होती है. जिस कारण इन किरणों में इस दिन असाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता भी होती है।

ऐसी मान्यता है कि चंद्र देव के द्वारा बरसायी जा रही अमृत की बूंदें खीर या दूध को अमृत से भर देती है.  खीर बनाने के पीछे भी कारण यह है कि इसमें मिलाया गया दूध, चीनी और चावल का संबंध भी चंद्रदेव से ही जुड़ा हुआ है।

ऐसे में यह पूरी तरसे चंद्रमा की रोशनी से निकलने वाले अमृत तत्व से परिपूर्ण होकर दिव्य प्रसाद में परिवर्तित हो जाता है और उसे ग्रहण करके व्यक्ति साल भर सुखी, समृद्धि और निरोगी रहता है।

शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने की विधि

इसके लिए गाय के दूध में किशमिश, केसर, चावल मिश्रित कर खीर बनाएं। इसमें शक्कर के साथ कुछ मात्रा में मिश्री भी डालें। खीर बनाते समय उसमें कुछ समय के लिए थोड़ा सोना या चाँदी मिला दें। इस खीर में गाय का घी भी मिलाया जाता है। शाम को चंद्रोदय के समय बाहर खुले में इस खीर को कम से कम 2 घंटे के लिए चन्द्रमा के प्रकाश में रख दें।

चांदी के बर्तन में रोग – प्रतिरोधक बढ़ाने की क्षमता होती है। इसलिए खीर को चांदी के बर्तन में रखें। इससे उसमें पुष्टिकारक औषधीय गुणों का समावेश हो जाता है। अगले दिन प्रात: काल उसका सेवन करते हैं, तो वह आरोग्य की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी हो जाती है। 

दुग्ध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है।

Sharad Purnima 2021 Kheer
Sharad Purnima 2022

 

Sharad Purnima 2022 : शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन

  • शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. इस दिन उनके आठ रूप (वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और राज लक्ष्मी) की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है।
  • शरद पूर्णिमा के दिन यदि आप उपवास व्रत रखते है तो आपको माता लक्ष्मी तथा चंद्र की पूजा करना चाहिए।
  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
  • पानी में गंगाजल डालकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • अब एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें।
  • चौकी के ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं।
  • घी का दीपक जलाएं, गंगाजल छिड़कें और अक्षत, रोली का तिलक लगाएं।
  • अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी और कपूर आदि से मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन करें।
  • इसके बाद मां लक्ष्मी के समक्ष लक्ष्मी चालीसा और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
  • पूजन संपन्न होने के बाद मां लक्ष्मी की आरती करें।
  • शाम के समय पुनः मां और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें। “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः चन्द्रमासे नमः” अथवा  “ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ” मन्त्र का जप 21 बार जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए।
  • गाय के दूध में बनी चावल की खीर को छोटे बर्तनों में भरकर चांद की रोशनी में रख दें. इसे छलनी से ढककर रखें।
  • अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करने के बाद चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर का भोग मां लक्ष्मी जी को लगाएं और फिर परिवार के लोगों में प्रसाद के रूप में खिलाएं।

 

Sharad Purnima 2022 : शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

धन-धान्य की कामना रखने वाले लोगों को शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। इस दिन श्री सूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के साथ चंद्रदेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

मान्यता है कि इस दिन कुआंरी कन्याएं प्रात:काल सूर्यदेव और रात्रि को चन्द्रदेव की पूजा करें तो मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना पूरी होती है. इस दिन चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा।

शरद पूर्णिमा के दिन चांद मन को करे शांत

चन्द्रमा मनसो जातः‘ यानि चन्द्रमा मन का कारक है। जो लोग मानसिक रूप से परेशान रहते हैं, जो डिप्रेशन में रहते हैं, जिन्हें किसी काम को लेकर बहुत डर लगा रहता है, जो बहुत जल्दी इरिटेट हो जाते हैं या जो मन से कमजोर होते हैं, उनके लिये आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

शरद पूर्णिमा के उपाय :

शरद पूर्णिमा पर राशि अनुसार करे ये उपाय :-

मेष राशि

शरद पूर्णिमा पर इस राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं और चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं। ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं।

वृष राशि

इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें।

मिथुन राशि

इस राशि के लोग उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा।

कर्क राशि

आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ दूध मंदिर में दान देना चाहिए।

सिंह राशि

शरद पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए मंदिर में गुड़ का दान करें तो आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है।

कन्या राशि

इस पवित्र पर्व पर आपको 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना विशेष शुभ रहेगा।

तुला राशि

इस राशि के लोग धन के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें।

वृश्चिक राशि

सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें।

धनु राशि

इस राशि के लोग चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें।

मकर राशि

आप बहते पानी में चावल बहाएं। इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

कुंभ राशि

इस राशि के लोग दृष्टिहीनों को भोजन करवाएं।

मीन राशि

इस राशि के लोग सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।

शरद पूर्णिमा के कुछ विशेष उपाय :

मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन कुछ विशेष उपाय करके किस्‍मत बदल सकती है। इससे रुपए पैसों की तंगी से छुटकारा मिलता है। तो आइए जानते हैं कौन से हैं वो खास उपाय :

  •  पैसों की तंगी से छुटकारा पाने के लिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को सुपारी चढ़ाना चाहिए। इसे लाल मौली से लपेट लें। अब इसमें अक्षत और कुमकुम लगाएं। लक्ष्मी पूजन के बाद अगले दिन सुबह इसे अपने रुपए रखने की जगह रख दें। इससे आर्थिक परेशानियां दूर होंगी।
  • अगर आपके पास पैसे नहीं टिकते हैं तो शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी की पूजा करते समय उनके चरणों के पास पांच व सात कौड़ियां रख दें। रातभर इन्‍हें ऐसे ही रखें रहने दें। अब सुबह इन कौड़ियों को किसी लाल व पीले रेशमी कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी व रुपए रखने की जगह रख दें। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी की आप पर कृपा होगी।
  •  इस उपाय के अनुसार आपको 4 लौंग लेनी है। जी हां वही लौंग जो घरों में मसाले और मुखवास के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसके साथ ही एक लाल कपडा लेना है। इसके बाद महालक्ष्मी और कुबेर जी को ध्यान में रख कर घर के पूजा घर में बैठ कर देसी घी की ज्योत जलानी है और फिर 2 लौंग के जोड़े को इस में डाल देना है। बची हुई दो लौंग को लाल कपड़े में बांध कर सच्ची श्रद्धा से उसे महालक्ष्मी का रूप मान कर अपनी तिजोरी में रख देना है।
  • मां लक्ष्‍मी को पान बेहद प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में पान का पत्‍ता जरूर रखा जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा में पान जरूर रखें और बाद में यह पान प्रसाद के रूप में घर के सभी लोगों के बीच में बांट दें। मान्‍यता है कि पान का यह उपाय आपका घर मे आर्थिक सम्पन्नता ला सकता है।

 

शरद पूर्णिमा के दिन यह काम नहीं करने चाहिए

आइए जानते उन कामों के बारे में जिन्हें शरद पूर्णिमा के दिन करने से माता लक्ष्मी नाराज़ होती हैं और धन-धान्य की समस्या होने लगती है।

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के दौरान काला, नीला या भूरा रंग का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • व्यक्ति को इस दिन पूजा करते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि पूजा के दौरान उसका मुख उत्तर या पूरब दिशा की ओर रहे। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में लक्ष्मी, गणेश तथा कुबेर की पूजा उत्तम होती है।
  • शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन दिया गया धन वापस लौटकर मुश्किल से आता है। इस दिन कर्ज देने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और धन की हानि होती है।
  • शरद पूर्णिमा का दिन माता लक्ष्मी की पूजा का दिन होता है। इस दिन भूलकर भी तामसिक भोजन खासतौर पर मांस-मदिरा और शराब का सेवन करने से बचना चाहिए। वरना आर्थिक संकट में फंस सकते हैं।
  • शरद पूर्णिमा के दिन अगर कोई सुहागन महिला घर पर आए तो उसको खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। सुहागन स्त्री का सत्कार करें और दान देकर ही घर से विदा करें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • शरद पूर्णिमा के दिन सुबह के समय दान करना चाहिए लेकिन भूलकर भी सांयकाल के समय किसी को दान नहीं देना चाहिए। खासतौर पर सरसों, हल्दी व जीरा तो बिल्कुल न दें। ऐसा करने से धन-धान्य की समस्या बन जाती है।
  • शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए। इस दिन वाणी पर संयम रखना चाहिए और घर में सुख-शांति का वास रखना चाहिए।
  • इस दिन संभव हो तो तवा न चढ़ाएं यानी कि तली हुई चीजें ही खानी चाहिए।
  • शरद पूर्णिमा को महिलाएं सूर्यास्‍त के बाद बालों में कंघी न करें. ऐसा करना अशुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और घर की सुख-शांति में बाधा आती है।
  • इस दिन ब्रम्‍हचर्य का पालन करें, वरना दांपत्‍य जीवन में काफी मुश्किलें आ जाती हैं।

 

Sharad Purnima 2022 : शरद पूर्णिमा व्रत कथा

एक साहुकार के दो पुत्रियाँ थी। दोनो पुत्रियाँ पुर्णिमा का व्रत रखती थी। परन्तु बडी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधुरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा ही मर जाती थी। उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो उन्होने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पुरा विधिपुर्वक करने से तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है।

उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लडका हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया। उसने लडके को पीढे पर लिटाकर ऊपर से पकडा ढक दिया। फिर बडी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढा दे दिया। बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया। बच्चा घाघरा छुते ही रोने लगा।

बडी बहन बोली-” तु मुझे कंलक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता।“ तब छोटी बहन बोली, ” यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। “ इसके बाद उसने पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि आज से सभी पूर्णिमा का पूरा व्रत करें, यह संतान सुख देने वाला है।

इस प्रकार प्रतिवर्ष किया जाने वाला यह कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है। इससे प्रसन्न हुईं माँ लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं।

Conclusion

दोस्तों, इस Post में हमने शरद पूर्णिमा की पूजा विधि ( Sharad Purnima 2022 Puja Vidhi ) के बारे में बताया। हमारी ये पोस्ट कैसी लगी, कृपया कमेन्ट करके बताएं। अगर पोस्ट अच्छी लगी हो या आपको इस Post से related कोई सवाल या सुझाव है तो नीचे Comment करें और इस Post को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

विशेष उपाय जानने के लिए कृपया मेरी इस  webstory को पूरा देखेँ…

FAQs

शरद पूर्णिमा के दिन खीर क्यों बनाते हैं?

शरद पूर्णिमा में रात को गाय के दूध से बनी खीर या केवल दूध छत पर रखने का प्रचलन है. ताकि चंद्रमा की सभी सकारात्मक और दिव्य किरणों को इकट्ठा किया जा सके। चंद्रमा की किरणों में इस दिन औषधीय गुण की मात्रा सबसे ज्यादा होती है. जिस कारण इन किरणों में इस दिन असाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता भी होती है।

शरद पूर्णिमा व्रत क्यों किया जाता है

इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और वरदान देती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से लोगों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही व्यक्ति की सभी समस्याओ से निजात मिल जाती है।

शरद पूर्णिमा के दिन किस देवी या देवता की पूजा करनी चाहिए

शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और कृष्ण भगवान् विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए.

शरद पूर्णिमा पर क्या करें

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें। पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें।

(नोट: इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.)

by Tripti Srivastava
मेरा नाम तृप्ति श्रीवास्तव है। मैं इस वेबसाइट की Verified Owner हूँ। मैं न्यूमरोलॉजिस्ट, ज्योतिषी और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ हूँ। मैंने रिसर्च करके बहुत ही आसान शब्दों में जानकारी देने की कोशिश की है। मेरा मुख्य उद्देश्य लोगों को सच्ची सलाह और मार्गदर्शन से खुशी प्रदान करना है।

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