पितृपक्ष 2024
हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ को पितृपक्ष में श्राद्ध अवश्य रूप से करने के लिए कहा गया है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं।
हाइलाइट्स
- इस साल पितृपक्ष 18 सितम्बर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेंगे।
- पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्धकर्म किए जाते हैं।
- पितृपक्ष में कौआ, बरगद और पीपल से विशेष धार्मिक मान्यताएं जुड़ीं हैं।
श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्ड दान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे। इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं और अपने सम्बन्धियों से पिण्डदान प्राप्त करके आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं।
धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है। ज्योतिष शास्त्र में भी पितृदोष के निवारण के लिये इस समय का अपना महत्व है।
पितृ पक्ष में क्या दान करें और क्या न करें
आपको पितृ पक्ष में किए गए दान का फल 100 गुना अधिक मिलता है। पितृ पक्ष में आप जो भी दान करते हैं उसका फल आपको तो मिलता ही है साथ ही आपकी आने वाली कई पीढ़ियों को इसका लाभ मिलता है।
लेकिन, पितृ पक्ष में कुछ चीजों का दान वर्जित है। यदि आप इनका दान करते हैं तो आपको पितृदोष का सामना करना पड़ सकता है। आप कंगाल तक हो सकते हैं। इसलिए आपको मालूम होना चाहिए कि पितृ पक्ष में क्या दान करें और क्या नहीं करना चाहिए।
आइए जानते हैं पितृ पक्ष में क्या दान नहीं करना चाहिए–
पितृ पक्ष में लोहे के बर्तनों का दान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। दरअसल, पितृ पक्ष में स्टील या चांदी के बर्तनों का दान करना उत्तम माना जाता है।
पितृ पक्ष में जूते चप्पल और पुराने कपड़ों का दान बिल्कुल न करें। जूते चप्पलों का दान तो आपको भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसे करने से आपका राहु प्रभावित हो सकता है और आपको राहु दोष लग सकता है।
पितृ पक्ष में भूलकर भी सरसों के तेल का दान नहीं करना चाहिए। दरअसल, ऐसा करने से आपके पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं।
पितृ पक्ष में झाड़ू का दान करने से बचना चाहिए। दरअसल, पितृ पक्ष में झाड़ू दान करने से आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं पितृ पक्ष में किन चीजों का दान करना बेहद शुभ होता है:
दान करते समय संकल्प जरूर लें। संकल्प सहित दान करने का विशेष महत्व है।
अन्न का दान
गाय के शुद्ध देसी घी का दान
सोने का भी दान
नए वस्त्रों का दान
भूमि या संपत्ति का दान
पितृपक्ष का पहला श्राद्ध कब
श्राद्ध पक्ष का आरंभ प्रतिपदा तिथि से होता है। ऐसे में 18 सितंबर से पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान आदि कार्य आरंभ हो जाएगा। पितृ पक्ष का आरंभ देखा जाए तो 18 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर तक यह चलेगा।
श्राद्ध की सभी तिथियां
18 सितंबर बुधवार प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध (पितृपक्ष आरंभ)
19 सितंबर गुरुवार द्वितीया तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर शुक्रवार तृतीया तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर शनिवार चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर शनिवार पंचमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर सोमवार षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर मंगलवार अष्टमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर बुधवार नवमी तिथि का श्राद्ध
26 सितंबर गुरुवार दशमी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर शुक्रवार एकादशी तिथि का श्राद्ध
29 सितंबर रविवार द्वादशी तिथि का श्राद्ध
30 सितंबर सोमवार त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
1 अक्टूबर मंगलवार चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
2 अक्टूबर बुधवार सर्व पितृ अमावस्या
श्राद्ध करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
श्राद्ध के प्रमुख अंग इस प्रकार हैं-
तर्पण– इसमें दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने हेतु दिया जाता है। श्राद्ध पक्ष में इसे नित्य करने का विधान है।
भोजन व पिण्ड दान– पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन दिया जाता है। श्राद्ध करते समय चावल या जौ के पिण्ड दान भी किए जाते हैं।
वस्त्रदान– वस्त्र दान देना श्राद्ध का मुख्य लक्ष्य भी है।
दक्षिणा दान– यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है जब तक भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा नहीं दी जाती उसका फल नहीं मिलता।
श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें
श्राद्ध से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। मगर ये बातें श्राद्ध करने से पूर्व जान लेना बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार विधिपूर्वक श्राद्ध न करने से पितृ श्राप भी दे देते हैं। आज हम आपको श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-
श्राद्धकर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए।
पितरों के लिए अर्घ्य, पिण्ड और भोजन के बर्तन भी चांदी के हों तो और भी श्रेष्ठ माना जाता है।
श्राद्ध में ये चीजें होना महत्वपूर्ण हैं- गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल।
चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में निषेध हैं।
पितरों को ऐसे दें जलांजलि
श्राद्ध पक्ष में और प्रत्येक अमावस्या व संक्रांति के दिन पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
पितरों को जल अर्पित करने की विधि इस प्रकार है-:
श्राद्ध के दौरान, अंगूठे से पितरों को जल अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अंगूठे से जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
पितरों को जल अर्पित करने के लिए, सबसे पहले दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प, और काले तिल लें।
दोनों हाथ जोड़कर पितरों का स्मरण करें।
पितरों को आमंत्रित करें और जल ग्रहण करने की प्रार्थना करें।
इसके बाद, 5, 7 या 11 बार अंजलि से जल धरती पर गिराएं।
पितरों को जल देते समय ‘ॐ पितृ देवतायै नमः‘ मंत्र का जाप करने से भी पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
आप यह मंत्र भी बोल सकते हैं-:
“ऊं आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम“।।
सबसे पहले आप शांति से व अपने पितरों के प्रति श्रद्धा भाव करके बैठिए। फिर आप दाहिनी हथेली की अंजलि में जल लें, अब कुछ दाने काले तिल के लीजिए, पुष्प, अक्षत इत्यादि भी ले सकते हैं। फिर अपने पितरों को याद करते हुए जल को अंगूठे की तरफ से धीरे-धीरे धरती पर छोड़िए। उसके उपरांत पितरों को हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
|| ॐ पितृ देवतायै नमः||
पितृदोष से मुक्ति के लिए सरल उपाय
पितृदोष दूर करने के लिए सबसे पहले आपको पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। उनका श्राद्ध, तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और आपको भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में पीपल के पेड़ में काला तिल डला हुआ दूध चढ़ाएं। साथ ही अक्षत और फूल अर्पित करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
ग्रहों की शांति के लिए खीर में केसर मिला कर बनाएं और दान करें।
पितृपक्ष में रोजाना शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए। इससे भी पितृदोष दूर होता है और आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होने लग जाती हैं।
काले तिल वाला पानी दक्षिण दिशा में रखें, इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
पितृपक्ष में दोपहर के समय पीपल के वृक्ष की पूजा करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और आपको पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
पितृपक्ष के अलावा भी आपको पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए प्रत्येक अमावस्या पर पितरों का तर्पण करके उनके नाम पर दान-पुण्य और सामर्थ्य अनुसार भोज का आयोजन करना चाहिए। साथ ही जीव-जंतु जैसे, कुत्ता, गाय, कौए को अन्न जरूर खिलाएं।
शाम के वक्त किचन में पानी के पास दीपक जलाने से भी पितरों का आशीर्वाद मिलता है और आपके घर में उनकी कृपा आती है।
पूर्वजों की फोटो को घर की दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए। दक्षिण दिशा को यमलोक की दिशा माना जाता है। रोजाना पूर्वजों की फोटो साफ करके इस पर फूलों की माला चढ़ाकर अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
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Conclusion :
दोस्तों , आज मैंने इस पोस्ट में “पितृपक्ष 2024” के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश की है। आशा है, आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगेगी।