कोरोना कोरोना…..मेरी कलम से | Hindi Kavita
कोरोना कोरोना
ऐसा सितम करो ना ।
किसी और के गलती की,
हम सब को सज़ा दो ना ।।
ऐसा सितम करो ना ।
किसी और के गलती की,
हम सब को सज़ा दो ना ।।
पूरे विश्व मे तहलका,
आँखो से दर्द छलका ।
भड़के हुए शोलों को,
अब और हवा दो ना ।।
कोरोना कोरोना……ऐसा सितम करो ना ।
आँखो से दर्द छलका ।
भड़के हुए शोलों को,
अब और हवा दो ना ।।
कोरोना कोरोना……ऐसा सितम करो ना ।
सहमी हैं हर निगाहें,
सूनी पड़ी हैं राहें ।
एक दूसरे से हमको,
अब दूर तुम करो ना ।।
कोरोना कोरोना……ऐसा सितम करो ना ।
तुमको शायद नही खबर है,
कितना भयानक इसका असर है ।
हम सबकी लाचारियों का,
अब अंत तुम करो ना ।।
कोरोना कोरोना……ऐसा सितम करो ना ।
अब तेरे इस कहर से,
हमें कब तक मिलेगी मुक्ति ।
कैसे मिलेगी ‘तृप्ति’ ,
कुछ तो जवाब दो ना ।।
कोरोना कोरोना………ऐसा सितम करो ना ।
—–तृप्ति श्रीवास्तव
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