चैत्र मास 2024: इस दिन से हो रही है शुरुआत, जानें क्या करें क्या ना करें | Chaitra Month 2024

चैत्र मास का महत्व

चित्रा नक्षत्र की पूर्णिमा के कारण ही इस महीने को चैत्र मास कहा जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु के मछली स्वरूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि चैत्र मास में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी।

चैत्र मास

इस महीने में चैत्र नवरात्रि, रामनवमी, पापमोचिनी एकादशी और हनुमान जयंती जैसे कई बड़े व्रत-त्योहार आते हैं। चैत्र मास से भगवान श्रीराम का सभी संबंध है। रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम का चैत्र मास के पहले ही दिन राज्यभिषेक हुआ था।

चैत्र मास 2024 कब से है

चैत्र महीने से हिंदू कैलेंडर की शुरुआत होती है। इस महीने में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी इसलिए चैत्र में हिंदू नववर्ष का आगाज होता है।

चैत्र महीना 26 मार्च 2024 से शुरू होकर 23 अप्रैल तक रहेगा। इस महीने में प्रकृति करवट लेती है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2024 की शुरुआत कब से है

चैत्र नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। चैत्र मास में मां दुर्गा की उपासना से पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है। संकटों का नाश होता है।

चैत्र मास 2024

इस बार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होंगे और 17 अप्रैल को महानवमी के साथ इसका समापन होगा। 9 अप्रैल को घटस्थापना के साथ चैत्र नवरात्रि के व्रत का संकल्प लिया जाएगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 6:11 से 10:23 तक रहेगा। इस बार चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली हैं।

चैत्र मास के विशेष नियम

चैत्र मास को लेकर शास्त्रों में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। इस मास में ही सर्दी का मौसम खत्म होकर गर्मी की शुरुआत होती है।

👉 चैत्र मास के दौरान नियम से पेड़-पौधों में जल डालना चाहिए और रसीले फलों का दान करना चाहिए।

👉 चैत्र मास में गर्मी के कारण आलस्य व्यक्ति की रफ्तार को रोकता है ऐसे में इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग करें, इससे तनाव दूर होगा।

👉 भूलकर भी चैत्र मास में बासी भोजन न करें, इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है और पेट खराब होने की संभावना बढ़ जाती है, अनाज का कम उपयोग करें, ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ खाएं, पानी ज्यादा पीये, गुड़ नहीं खाए, चना खाना बहुत अच्छा है। हल्के कपड़े पहनें।

👉 चैत्र मास में गुड़ का सेवन न करने की सलाह दी जाता ही। गुड़ की तासीर गर्म होती है । माना जाता है कि इस महीने में गर्मी बढ़ने के कारण इस माह में गुड़ का सेवन सेहत के लिए हानिकारक साबित होता है।

👉 चैत्र मास में शीतला माता के साथ नीम की पूजा की जाती है। प्रसाद रूप में भी नीम की पत्तियां खाई जाती हैं। इसके अलावा मौसम बदलने की वजह इस महीने कई बीमारियां भी होती हैं। ऐसे में नीम के पत्ते आदि का सेवन शरीर में वात-पित्त-कफ का संतुलन बेहतर बनाए रखता है।

शीतला माता को रोगाणुओं का नाशक माना गया है। ऐसे में इस माह शीतला माता की पूजा करना और नीम की पत्तियों का सेवन लाभकारी माना गया है। चैत्र माह में आप रोजाना सुबह नीम के पत्ते चबाते हैं तो आप इस मौसम में संक्रमण रोगों से बच सकते हैं।

👉 चैत्र मास में भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी और मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है।

👉 चैत्र का महीना बहुत पवित्र होता है इसलिए इस महीने किसी भी तरह के नशे से दूर रहना चाहिए।

👉 चैत्र मास में प्याज और लहसुन का सेवन करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि चैत्र का महीना मां दुर्गा को समर्पित होता है इसलिए इस महीने में प्याज-लहसुन के सेवन से बचना चाहिए।

👉 इस महीने में चमड़े से बनी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। चमड़ा जानवरों की खाल से बनता है इसलिए चैत्र महीने में चमड़े की चीजों के इस्तेमाल की मनाही होती है। इस महीने चमड़े का इस्तेमाल करना बहुत अशुभ माना जाता है।

👉 चैत्र के महीने बाल नहीं कटवाने चाहिए। इस महीने बाल कटवाने से मनुष्य की मति भ्रमित हो जाती है। इससे घर की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। इसके अलावा, इस महीने न तो नाखून काटने चाहिए और न ही पुरुषों को दाढ़ी बनवानी चाहिए।

👉 चैत्र मास में तली भुनी चीजों का प्रयोग कम से कम करें। इस महीने में आपको अपच की समस्या रहती है।

👉 चैत्र मास में पेट का पाचन थोड़ा सा कमजोर हो जाता है इसलिए इस महीने में दूध का सेवन करना बंद कर दें। इस महीने में दूध का सेवन करना नुकसानदेह हो सकता है। दूध की बजाए इस महीने में दही और मिसरी का सेवन करने से लाभ होगा।

👉 चैत्र मास में नमक का सेवन न करें। इस महीने में कम से कम 15 दिन नमक का सेवन न करें। अगर त्‍याग न कर सकें तो आप सेंधा नमक भी खाकर काम चला सकते हैं। इस महीने में जिन लोगों को हाई बीपी रहता है उनके लिए नमक छोड़ देना सबसे ज्‍यादा लाभ देने वाला होता है।

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by Tripti Srivastava
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