॥ जय श्रीराम ॥
॥ श्रीहनुमते नमः ॥
जीवन की हर समस्या का समाधान हनुमान चालीसा द्वारा किया जा सकता है। संकट के समय ब्राह्मणों द्वारा हमें हनुमान चलीसा करने की सलाह दी जाती है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
श्रीहनुमान्-चालीसा पाठ का महत्व
धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमानजी ऐसे एक देवता हैं जो कलयुग समय में भी पृथ्वी लोक पर मौजूद हैं और अपने भक्तों के ऊपर आने वाली हर विपदा को दूर करते रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले जीवंत देवता हैं। जीवन की हर समस्या का समाधान हनुमान चालीसा द्वारा किया जा सकता है।
हनुमान चालीसा किसने लिखा
गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान के बल, पराक्रम, शौर्य और चमत्कारी शक्तियों का वर्णन किया गया है।
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा, वीर हनुमान को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल और शक्तिशाली स्तुति है। उन्होंने हनुमान जी की स्तुति में कई रचनाएं रची जिनमें हनुमान बाहुक, हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं।
“हनुमान चालीसा” की रचना कैसे हुई
एक बार सुबह के समय एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के चरण स्पर्श किए। तुलसीदासजी ने उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया। आशीर्वाद मिलते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए उसने बताया कि मेरे पति का अभी-अभी देहांत हो गया है और आप तो रामजी के परम भक्त है आप उन्हें जीवित कर दीजिए।
इस बात का पता लगने पर भी तुलसीदासजी तनिक भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे। क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञान भली भाँति था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा। उन्होंने उस स्त्री सहित वहां उपस्थित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा। सभी ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम जप के प्रभाव से जीवित हो उठा।
भारत पर उस समय मुगल सम्राट अकबर का राज्य था। यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उसने अपने महल में तुलसीदास को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा लेने के लिए उनसे कोई चमत्कार करने को कहा।
ये सब सुन कर तुलसीदास जी ने अकबर से बिना डरे कहा कि वो कोई चमत्कारी साधु नहीं हैं, सिर्फ श्री राम जी के भक्त हैं। अकबर इतना सुनते ही क्रोध में आ गया और उसने उसी समय सिपाहियों से कह कर तुलसीदास जी को लोहे की जंजीरों से बंधवा दिया।
तुलसीदास जी ने तनिक भी प्रतिक्रिया नहीं दी और राम का नाम जपते हुए कारागार में चले गए। उन्होंने कारागार में भी अपनी आस्था बनाए रखी और वहां रह कर ही हनुमान चालीसा की रचना की और 40 दिन तक उसका निरंतर पाठ किया। चालीसवें दिन एक चमत्कार हुआ। हजारों बंदरों ने एक साथ अकबर के महल पर हमला बोल दिया।
अचानक हुए इस हमले से सब अचंभित हो गए। अकबर एक समझदार बादशाह था इसलिए उसे कारण समझते देर न लगी और अब उसे भक्ति की महिमा समझ में आ गई। उसने उसी क्षण तुलसीदास जी से क्षमा मांग कर कारागार से मुक्त किया और आदर सहित उन्हें विदा किया। इतना ही नहीं अकबर ने उस दिन के बाद तुलसीदास जी से जीवनभर मित्रता निभाई।
मान्यता है कि हनुमानजी ने तुलसीदास जी को आशीर्वाद दिया कि जो भक्त कलयुग में श्रद्धा भक्ति से इस पाठ को करेंगे उनके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
हनुमान चालीसा की अशुद्ध चौपाईयाँ कौन-कौन सी हैं
हर प्रकार के दुखों के निवारण, भय से मुक्ति और अपने आराध्य हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का नियमित पाठ अवश्य किया जाता है।
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने अवगत कराया है कि हनुमान चालीसा की कुछ चौपाईयों (चौपाई क्रमांक 6, 27, 32 और 38) में अशुद्धियाँ है। यहाँ तक कि गीताप्रेस की हनुमान चालीसा की प्रतियों मे भी यह गलतियाँ छापी गई है।
चौपाई क्रमांक– 6
मूल (चौपाई)-
शंकर सुवन केशरीनन्दन। तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ ६ ॥
शुद्ध पाठ :-
शंकर स्वयं केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बंदन ॥ ६ ॥
चौपाई क्रमांक– 27
मूल (चौपाई)-
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
शुद्ध पाठ :-
सब पर राम राय– सिरताजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
चौपाई क्रमांक– 32
मूल (चौपाई)-
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥
शुद्ध पाठ :-
राम रसायन तुम्हरे पासा । सादर हो रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥
चौपाई क्रमांक– 38
मूल (चौपाई)-
जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई॥ ३८ ॥
शुद्ध पाठ :-
यह शत बार पाठ कर जोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई॥ ३८ ॥
हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले ये जरूर करें
सबसे पहले भगवान सूर्य को प्रणाम करें।
हनुमान जी अपने गुरु भगवान सूर्य की प्रार्थना करने वाले से प्रभावित होते हैं।
फिर सीता और राम जी से प्रार्थना करें।
सीता और राम का जप हमें हनुमान जी के पास लाएगा।
हनुमान चालीसा का शुद्ध (संशोधित) पाठ
जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने जो हनुमान चालीसा बताया वह अयोध्या में मिला। अयोध्या जी के हनुमानगढ़ी में वर्ष 1966 से शिलापट्ट पर शुद्ध हनुमान चालीसा लगायी गयी है।
शुद्ध हनुमान चालीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर स्वयं केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम राय सिरताजा। तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सादर हो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
यह सत बार पाठ कर जोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
पंचमुखी हनुमान जी
पंचमुखी रूप, हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली स्वरूप माना गया है। इस स्वरूप को हनुमान जी ने रावण से युद्ध के समय उसकी माया को खत्म करने के लिए धारण किया था।
मान्यता है कि जब मनुष्य चारों तरफ से संकट से घिर जाए या उसे अपने संकट से निकलने का कोई रास्ता ना सूझ रहा हो तो पंचमुखी हनुमान के शरण में उसे आना चाहिए। पंचमुखी हनुमान की पूजा से मारक ग्रह के संकट तक से बचा जा सकता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करते समय क्या सावधानियां बरतें ?
हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले, निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए:
सबसे पहले, आप शुद्ध और साफ हों। नहाने के बाद ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले अपने मन में संकल्प लें कि आप चालीसा का पाठ शुद्ध मन, शुद्ध शरीर और शुद्ध बुद्धि से करेंगे।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले, एक अच्छे स्थान पर बैठें और अपने मन को शांत करें। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय वातावरण शांत और स्थिर होना चाहिए।
जब तक चालीसा का पाठ चल रहा हो, तब तक ध्यान बनाए रखें। अगर आपका ध्यान भटकता है, तो फिर से ध्यान केंद्रित करें।चालीसा का पाठ करते समय, बीच में बातचीत या किसी अन्य काम में न लगे।
चालीसा के पाठ के बाद, हनुमान जी के चरणों में अर्पण करें और दुआएं मांगें कि आपके समस्त दुःख दूर हों, जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहे।
Conclusion:
आप सभी से निवेदन है कि कृपया इन्हे ध्यान दे और अबसे हनुमान चालीसा का शुद्ध पाठ करें।
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FAQ: हनुमान चालीसा
हनुमान चालीसा की रचना किसने की?
हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया।
हनुमान चालीसा में कितनी चौपाइयां हैं?
हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं।
हनुमान चालीसा में सूर्य की दूरी क्या बताई गई है?
हनुमान चालीसा में सूर्य की दूरी 15 करोड़ 36 लाख किमी बताई गई है। (जुग सहस्त्र जोजन पर भानु)
हनुमान चालीसा की किन चौपाईयों में अशुद्धियाँ है।
हनुमान चालीसा की चौपाई क्रमांक 6, 27, 32 और 38 में अशुद्धियाँ है।
हनुमान चालीसा की चार चौपाइयों की अशुद्धियों के बारे में किसने अवगत कराया?
हनुमान चालीसा की चार चौपाइयों की अशुद्धियों के बारे में स्वामी रामभद्राचार्य ने अवगत कराया है।
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सोई अमित जीवन फल पावै ||
Correction should be: तासु अमित जीवन फल पावै ||
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Regards from Kolkata
Lord Hanuman ji is one of the most powerful deities in the world. It is the time to praise jai Hanuman, the great god of Hinduism. He has many names and forms and is worshiped by millions of people all over the world.