गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इसका जिक्र ऋग्वेद जैसे ग्रंथों में भी मिलता है। इसे आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
गुरु पूर्णिमा क्यों मानते हैं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 3000 ई. पूर्व इसी दिन महाभारत के रचियता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी।
वेद व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था।
गुरु की पूजा
महर्षि वेद व्यास जी को चारों वेदों का ज्ञान था, इसीलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने की परम्परा चली आ रही है। वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था।
गुरु को सभी देवताओं से उच्च स्थान दिया जाता है और उनके चरणों में मस्तक झुकाने का विधान है। गुरु पूर्णिमा हमारे सभी गुरुओं के प्रति सम्मान देने का दिन माना जाता है। यह उनके मार्गदर्शन और शिक्षाओं के प्रति अपना आभार व्यक्त करने का समय होता है। इस दिन मुख्य रूप से गुरु की पूजा की जाती है और उनका आशीष लिया जाता है।
अगर आपके जीवन में कोई गुरु नही हैं तो आप अपने इष्ट देव को अपना गुरु समझकर उनके समक्ष विद्या दान का संकल्प लें। इसमें गुरु की पूजा के साथ भगवान विष्णु जी की भी विशेष रूप से पूजा की जाती है।
गुरु पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ पूर्णिमा 20 जुलाई, शनिवार के दिन पड़ेगी। गुरु पूर्णिमा इस साल 21 जुलाई, रविवार के दिन है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। पूर्णिमा की तिथि 20 जुलाई को शाम 6 बजे से शुरू होकर 21 जुलाई 3 बजकर 47 मिनट तक है। जिस तिथि को सूर्योंदय होता है, वह तिथि मान्य होती है, इसलिए 21 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा व्रत भी 21 तारीख को ही रखा जाएगा।
गुरु पूर्णिमा आरंभ – 20 जुलाई, 2024 शनिवार शाम को 05 बजकर 59 मिनट से
गुरु पूर्णिमा समापन- 21 जुलाई, 2024 दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 47 मिनट पर
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा एक हिंदू त्योहार है जो गुरु या किसी भी आध्यात्मिक शिक्षक को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। चूंकि गुरु पूर्णिमा का पर्व किसी भी गुरु को समर्पित है इसलिए इसका विशेष महत्व होता है।
‘गुर’ शब्द संस्कृत शब्द के ‘गु’ से शुरू होता है, जिसका अर्थ है ‘अंधकार’ और ‘रु’ का अर्थ है ‘दूर करना’। अर्थात गुरु का मतलब है अंधकार को दूर करना। इसलिए गुरु वह होता है जो जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों के सम्मान और उन्हें गुरु दक्षिणा देने का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन अपने गुरु और गुरु तुल्य वरिष्ठजनों को मान-सम्मान देते हुए उनका आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए। साथ ही जीवन में मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें गुरु दक्षिणा देने का भी महत्व है। गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का भी बहुत महत्व है।
गुरु पूर्णिमा पूजन सामग्री
इस दिन पूजन में पान का पत्ता, पीला कपड़ा, पीला मिष्ठान, नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग व अन्य सामग्री शामिल करें। इन चीजों के बिना गुरु पूर्णिमा की पूजा अधूरी मानी जाती है।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा हमारे जीवन में गुरु के महत्व को दिखाने का दिन होता है। यदि आपके कोई गुरु हैं तो आप उन्हें आराध्य मानकर उनकी पूजा इस विशेष दिन कर सकते हैं। यदि आपके कोई गुरु नहीं हैं तो आप भगवान विष्णु का इस दिन पूजन कर सकते हैं।
• इस दिन प्रात:काल जल्दी उठकर नित्य क्रियाओं से मुक्त होकर पूजा के स्थान की सफाई करें और सुनिश्चित करें कि आप साफ़ या नए वस्त्र धारण करें।
• अपने गुरु की तस्वीर मंदिर में स्थापित करें या विष्णु जी की तस्वीर भी स्थापित करें।
• विष्णु जी को फूल अर्पित करें और गुरु की तस्वीर में तिलक लगाएं।
• यदि आपके कोई गुरु हैं तो आप उन्हें वस्त्र आदि उपहार में दें और उनके चरणों का स्पर्श करें।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
गुरु हमें ज्ञान से आलोकित करके अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं और उनके सम्मान में इस पर्व को मनाया जाता है। गुरु की श्रद्धा में ये पर्व मनाया जाता है जिससे उनका आभार व्यक्ति किया जा सके।
गुरु पूर्णिमा की कथा
गुरु पूर्णिमा के बारे में दो कथाएं प्रचलित हैं:-
पहली कहानी
एक बार जब भगवान शिव हिमालय में ध्यान कर रहे थे उस समय सप्तऋषि उनके पास आए और उन्हें योग का मार्ग सिखाने के लिए कहा। भगवान शिव इस बात से सहमत हो गए और वे उनके गुरु बन गए। उस समय पूर्णिमा तिथि थी इसलिए तब से इस पर्व को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाने लगा।
दूसरी कहानी
मान्यता है कि भगवान बुध ने अपना पहला उपदेश आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही दिया था और उनके कई शिष्यों ने इस उपदेश को ग्रहण किया था। तभी से गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
यह भी जरूर पढ़ें :
सोमवती अमावस्या जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और व्रत कथा
जानें कार्तिक पूर्णिमा शुभ मूहूर्त, पूजा विधि, चंद्रग्रहण समय
गुरु पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय
- पीली वस्तुओं का दान करें
गुरु ग्रह का प्रिय रंग पीला है वहीं, गुरु पूर्णिमा पर चंद्र सफेद रंग का होता है।
ऐसे में पीली या सफेद रंग की वस्तुओं का दान (हिन्दू धर्म के महादान) करने से गुरु ग्रह उच्च होते हैं।
- पीपल को जल अर्पित करें
गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ को जल चढ़ाने से गुरु की स्थिति मजबूत होती है।
साथ ही, तरक्की (नौकरी में तरक्की के उपाय) में आ रही बाधा भी दूर हो जाती है। सफलता मिलने के योग बनते हैं।
- चंद्रमा की पूजा करें
इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करना न भूलें। चंद्र को अर्घ्य अवश्य दें। खीर का भोग लगाएं। चंद्रदेव के प्रिय मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ का जाप करें।
- गुरु मंत्र का जाप करें
गुरु पूर्णिमा के दिन ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है।
गुरु पूर्णिमा पर करें गुरु दोष के उपाय
गुरु ग्रह के दोष की वजह से नौकरी, धन, संतान सुख और विवाह में आ अड़चने आ रही है तो इसे दूर करने के लिए कुछ उपाय लाभकारी साबित हो सकता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु ग्रह से जुड़े कुछ उपाय करने से जीवन में सफलता का मार्ग खुलता है।
छात्र करें ये उपाय –
गुरु के दुष्प्रभाव के कारण शिक्षा प्राप्त करने से कई रुकावटें आती हैं. ऐसे में गुरु पूर्णिमा पर पीले हकीक की माला से ‘ऊँ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:’ मंत्र का एक माला जाप करना चाहिए. इससे न सिर्फ बच्चे का भविष्य संवर जाएगा बल्कि वह जीवन में आसमान की ऊंचाईयों को छूएगा.
करियर और कारोबार में तरक्की के लिए –
गुरु पूर्णिमा के दिन बृहस्पति देव को पीले वस्तु अर्पित करें. ‘ॐ बृ बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें. मान्यता है इससे कुंडली में गुरु मजबूत होता है. व्यापार में तरक्की की राह आसान होती है. गुरु दोष के कारण अटके कार्य पूर्ण होते हैं.
आर्थिक लाभ के लिए –
गुरु वेद व्यासजी को भगवान विष्णु का अंश माना गया है और शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा पर विष्णु जी के अवतार सत्नारायण की कथा करने पर घर में सुख का आगमन होता है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो ये उपाय आपके बंद किस्मत के ताले खोल सकता है.
संतान के लिए –
कुंडली में गुरु के बलहीन होने पर संतान प्राप्ति में दिक्कतें आती हैं. निसंतान दंपत्ति इस दिन विष्णु जी को केसर, पीला चंदन, अर्पित करें. गुरु पूर्णिमा पर जरुरतमंदों को गुड़ का दान करना चाहिए. मान्यता है इससे जल्द घर में किलकारियां गूंजती हैं.
गुरु पूर्णिमा राशि अनुसार मंत्र
मेष राशि: ॐ अव्ययाय नम:
वृषभ राशि: ॐ जीवाय नम:
मिथुन राशि: ॐ धीवराय नम:
कर्क राशि: ॐ वरिष्ठाय नम:
सिंह राशि: ॐ स्वर्णकायाय नम:
कन्या राशि: ॐ हरये नम:
तुला राशि: ॐ विविक्ताय नम:
वृश्चिक राशि: ॐ जीवाय नम:
धनु राशि: ॐ जेत्रे नम:
मकर राशि: ॐ गुणिने नम:
कुंभ राशि: ॐ धीवराय नम:
मीन राशि: ॐ दयासाराय नम:
गुरु पूर्णिमा राशि अनुसार दान
मेष राशि: मेष राशि के लोगों को गुरु पूर्णिमा के दिन पीले रंग के वस्त्र दान करने चाहिए।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के लोगों को गुरु पूर्णिमा के दिन किताबों का दान करना चाहिए।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों को गुरु पूर्णिमा के दिन धन का दान करना चाहिए।
कर्क राशि: कर्क राशि के लोगों को हवन और गरीबों में खीर का दान करना चाहिए।
सिंह राशि: सिंह राशि वालों को गुरु पूर्णिमा के दिन पीतल (पीतल के उपाय) का दान अवश्य करना चाहिए।
कन्या राशि: कन्या राशि के लोगों को इस दिन अनाथ बच्चों को अपना समय दान करना चाहिए।
यदि आप गुरु पूर्णिमा के दिन यहां बताए विशेष उपाय आजमाएंगे तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहेगी और सुख समृद्धि आएगी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
FAQ
गुरु पूर्णिमा का दूसरा नाम क्या है?
गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
गुरु पूर्णिमा किसका जन्मदिन है?
गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचियता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी।
गुरु पूर्णिमा में किसकी पूजा की जाती है?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा के साथ भगवान विष्णु जी की भी विशेष रूप से पूजा की जाती है।
गुरु पूर्णिमा कब और क्यों मनाया जाता है?
लगभग 3000 ई.पूर्व पहले आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है।
डिसक्लेमर:
इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।