हिंदू धर्म में सालभर में आने वाली पूर्णिमा में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन स्वर्गलोक से सभी देवी-देवता पृथ्वीलोक पर आते हैं और वाराणसी के गंगा घाट पर स्नान करते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima ) 27 नवंबर के दिन मनाई जाएगी.
इस दिन व्रत, पूजा-पाठ आदि का विशेष महत्व है. इतना ही नहीं, दीप दान और दान आदि का भी बहुत महत्व है. कहते हैं इस दिन दान आदि करने जो पुण्य मिलता है वो इस जन्म और अगले जन्म में भी मिलता है.
इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान से पुण्य मिलता है. वहीं इस दिन श्री हरि आदि की विशेष पूजा से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है.मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता स्वयं वाराणसी के धाटों पर आकर दीपावली मनाते हैं. इस दिन देव दिवाली मनाई जाती है.
देवों के धरती के आने की खुशी में घाटों को दीयों से रोशन किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन घर के अंदर और बाहर दीप जलाने के परंपरा है. यह दिन विष्णुजी को समर्पित है, जिनकी खास विधि से पूजा बेहद लाभकारी है.
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व (Kartik Purnima)
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि कृत्तिका नक्षत्र में होती है, अतएव इसे कार्तिक कहा जाना अधिक समीचीन है। सभी पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. हैं। भगवान विष्णु को ये मास बहुत प्रिय है। इस मास के आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सारी तिथियों में अधिक है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करके उगते सूर्य को अर्ध्य देना बेहद फलदायी माना जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु का मत्स्यावतार, देव दीपावली, त्रिपुरासुर का संहार तथा भगवान् कार्तिकेय का दर्शन-पूजन महत्त्वपूर्ण कृत्य है। जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन नियमपूर्वक स्नान करते हैं, रात्रि जागरण करते हैं, तुलसी में दीपदान, आंवले का पूजन, आंवला वृक्ष के नीचे भोजन तथा सायंकाल आकाशदीप दान करते हैं, वे देवताओं के लिए भी वंदनीय हो जाते हैं। इस दिन स्नान और दीप दान करना शुभ और पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है.
कार्तिक पूर्णिमा का दिन सिख संप्रदाय के लोगों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन सिख संप्रदाय के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था. सिख संप्रदाय को मानने वाले लोग सुबह स्नान कर गुरूद्वारों में जाकर गुरूवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताए रास्ते पर चलने की सौगंध लेते हैं. इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है।
इस दिन (Kartik Purnima) गंगा स्नान और दान-पुण्य से मिलता है विशेष लाभ
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं इसलिए इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए. गंगा स्नान संभव न हो तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य कार्य करते हैं. इस दिन पूजा, हवन, जप और तप का भी विशेष महत्व है.इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान आदि करने से कई पापों का नाश होता है. मान्यता है कि यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावल का दान लाभदायी होता है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह के समय कार्तिक स्नान करने से 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima 2023 shubh muhurat)
कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 27 नवम्बर 2023, दोपहर 4:15 PM
कार्तिक पूर्णिमा तिथि खत्म – नवम्बर 28, 2023, 04:31 PM
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja vidhi)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में घर में गंगा जल डालकर स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद लक्ष्मी नारायण की देसी घी का दीपक जलाकर विधि विधान से पूजा करें। श्री हरि का तिलक करने के बाद धूप, दीपक, फल, फूल और नैवेद्य आदि से पूजा करें. शाम को फिर पूजा करें और भगवान को देसी घी में भूनकर सूखे आटे का कसार और पंचामृत चढ़ाएं. ध्यान रखें कि इसमें तुलसी का पत्ता जरूर शामिल करें.
मान्यता है कि इस दिन ही मां तुलसी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य मिलता है। तुलसी जी में घी का दीपक जलाना चाहिए।
आज के दिन संध्या के समय जल में दीपदान करना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में बरकत होती है। इसके बाद प्रभु विष्णु सहित मां लक्ष्मी की पूजा आरती करें. रात को चांद निकलने के बाद अर्घ्य देकर व्रत प्रसाद से खोलें. इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल में शहद, कच्चा दूध चढाने से भगवान खुश होते हैं।
इस दिन तुलसी, जल, मुख्य द्वार और पूजा घर में दीपक अवश्य जलाएं इससे पितृ भी प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि इस दिन लाल कपडे में कौड़ी, गोमती चक्र, काली हल्दी और एक सिक्का लपेट कर तिजोरी में रख दें। इससे धन- संपति बढ़ती है और परिवार में सद्भाव बना रहता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन जरूर करें (Kartik Purnima 2023)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है. तुलसी जी को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है और कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन की गई तुलसी पूजा का फल कई सौ गुना मिलता है. आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा, पूर्णिमा व्रत, दीपदान और दान आदि का क्या महत्व है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व है. तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी जी के साथ शालीग्राम की भी पूजा की जाती है. इस दिन तुलसी पूजन से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता का आगमन होता है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन से भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी की कृपा भी मिलती है. कहते हैं कि इस दिन तुलसी के आगे दीप जलाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. और घर की दरिद्रता दूर होती है.
दीपदान से मिलेगी देवताओं की कृपा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी होती है. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी नदी या सरोवर के किनारे दीपदान अवश्य करना चाहिए. यदि नदी या सरोवर पर नहीं जा सकते हैं तो देवस्थान पर जाकर दीपदान करें. इससे देवता प्रसन्न होते हैं. घर में धन-धान्य और सुख-शांति बनी रहती है.
दीपदानः पुराणों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन (Kartik Purnima 2023) देव दिवाली मनाई जाती है. कहते हैं कि इस दिन देवता गंगा घाट पर आकर स्नान करते हैं. धरती पर देवताओं के आने की खुशी में पूरे घाट को दीपों से सजाया जाता है. इसलिए इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है.
कहते हैं कि इस दिन नदी और तालाब में स्नान करने से समस्त संकटों का नाश होता है. इतना ही नहीं, कर्ज से मुक्ति मिलती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य गेट पर आम के पत्तों की तोरण बांधे और दीपावली की ही तरह घरों में दीप जलाएं.
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कार्तिक पूर्णिमा 2023 का व्रतः (Kartik Purnima 2023 Vrat)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रख भगवान का स्मरण और चिंतन आदि करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, ये भी मान्यता है कि इस दिन पूर्णिमा का व्रत रखने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा से शुरू करते हुए सभी पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाओं की पूरी होती है.
दान का महत्वः (Kartik Purnima Daan)
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हैं करना चाहिए. इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
इसी दिन क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र का दान करना शुभ होता है. पूर्णिमा तिथि पर चावल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है. ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. घर में सुख और लक्ष्मी का वास होता है.
लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें
पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए व चंद्रमा दर्शन करने के साथ ही अर्घ्य भी देना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत करने से सूर्य लोक की प्राप्ति होती है. लक्ष्मी नारायण का पूजन करने से घर- परिवार में सुख और शांति आती है.
कार्तिक पूर्णिमा उपाय (Kartik Purnima Upay)
कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ और व्रत (Kartik Purnima 2023 Vrat) आदि करने के साथ-साथ कुछ उपाय अपनाकर भी भगवान की कृपा पा सकते हैं. भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) का आशीर्वाद पाने और मनोकामना पूर्ति के लिए आप भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन ये उपाय कर सकते हैं. आइए जानें:
- मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना में कुशा स्नान करना चाहिए. हाथ में कुशा लेकर पवित्र नदी में स्नान कर दान अवश्य करें. ऐसा करने से जहां हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है. वहीं, घर में सौभाग्य का आगमन होता है.
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के प्रवेश के लिए घर के मुख्य द्वार पर हल्दी मिश्रित जल से स्वास्तिक बनाएं. साथ ही, आम के पत्तों का तोरण लगाएं. इससे मां लक्ष्मी धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
- कार्तिक पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें रात को चन्द्रमा उदित होने के बाद खीर का भोग लगाएं. संभव हो तो खीर में मिश्री और गंगाजल मिलाकर भोग लगाएं. इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं.
- कार्तिक माह में तुलसी का विशेष महत्व है. तुलसी जी को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के पास दीप जला कर, जड़ की मिट्टी का तिलक लगाने से हर कार्य में सफलता मिलती है.
- कहते हैं कि पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ वृक्ष पर जल में दूध, शहद मिलाकर जल अर्पित करें और दीपक भी जलाना चाहिए। कुछ ही दिन में आर्थिक स्थिति बेहतर होने लगेगी.
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- कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम के समय जल में थोड़ा कच्चा दूध,चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से आप पर चंद्रमा की सदैव कृपा बनी रहती है
- इस दिन गांगा जी के घाट पर दीप जलाने और नदी में दीपदान का विधान है. ऐसा करने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
- कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन त्रिपुरारी शिव का पूजन किया जाता है. इस दिन शिव लिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल का पंचामृत चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकानाएं पूर्ण करते हैं.
- इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ एवं ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना बहुत लाभकारी है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर आम का तोरण अवश्य बांधे और द्वार पर रंगोली भी अवश्य बनाएं, ऐसा करने से हर में सकारात्मकता बनी रहती है।
कार्तिक पूर्णिमा को क्यों कहते हैं त्रिपुरारी पूर्णिमा
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था, जिसके बाद वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए, इसलिए इस दिन (Kartik Purnima 2023) को ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है. त्रिपुरासुर राक्षस के वध की खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई. तब से इसे देव दिवाली भी कहा जाता है. कहते हैं कि इस दिन दान-पुण्य करना बेहद फलदायी माना जाता है.
विष्णु पुराण के अनुसार भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा की शाम मत्स्यावतार लिया था. इसलिए ये दिन विष्णुजी को समर्पित है तो चंद्रमा के साथ उनकी पूजा का भी विधान है.
कार्तिक पूर्णिमा को क्यों मनाई जाती है देव दीपावली (Kartik Purnima)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार त्रिपुरासुर राक्षक ने अपने आतंक से पूरी धरती और स्वर्ग लोक में सभी को परेशान कर दिया था. देवता और ऋषि मुनि भी उसके आतंक से त्रस्त थे और उससे परेशान होकर सभी देवगण उस राक्षस का अंत करने के लिए भगवान शिव से सहायता मांगने गए.
भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षक का वध कर दिया, जिससे देवलोक में सभी देवता प्रसन्न हो गए और भोलेनाथ की नगरी काशी में पहुंचे. खुशी में सभी देवों ने काशी नगरी में दीपक जलाकर खुशियां मनाई. तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है.
मान्यता है कि देवलोक से गंधर्व, किन्नर, देव आदि इस दिन गंगा और अन्य नदियों के किनारे उपस्थित होकर देव दीपावली मनाते हैं। इसी कारण हम नदियों में दीपदान कर व दीपों से घाटों को सजाकर हम देवताओं के संग दीपावली मनाते हैं।
हमारी सनातन संस्कृति में प्रकृति को देव मानने की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाने वाली देव दीपावली वस्तुत: प्रकृति के संरक्षण का ही पर्व है।
कार्तिक पूर्णिमा पर करें 6 तपस्विनियों का पूजन
कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति, अनुसुइया समेत क्षमा नामक छह तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन करने का विशेष महत्व है. शाम को चंद्रमा निकलने पर इनका पूजन करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें कार्तिक की माता माना गया है. इनकी पूजा करने वालों के घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती.
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) पर न करें ये गलतियां
- इस दिन नाखून और बाल काटने से भी बचना चाहिए.
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, अंडा, प्याज, हसुन इनका प्रयोग न करें।
- चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। हो सके तो भूमि पर शयन करें। घर में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गरीब, असहाय, बुजुर्ग या फिर किसी से कटु वचन नहीं बोलें और न ही किसी का अपमान करें, ऐसा करने से आपको दोष लगता है।
- इस पवित्र दिन किसी से बहस आदि न करें. साथ ही, इस दिन किसी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल न करें.
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन न करें। इस दिन शारीरीक संबंध न बनाएं। यदि आप ऐसा करेंगे तो आपको चंद्रमा के दुष्प्रभाव पड़ेगा।
Conclusion : Kartik Purnima
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Disclaimer:
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