काश कभी तुम समझ सको….मेरी कलम से | Hindi Kavita | काव्य रचना | Jovial Talent

 

काश कभी तुम समझ सको….मेरी कलम से

 
 
 
काश कभी तुम समझ सको- Hindi Kavita
काश कभी तुम समझ सको – Hindi Kavita
 
 
 

अपने सपनों का दमन किया,

तेरे सपनों को नमन किया।

अपने सारे कर्तव्यों का मैंने,

हँसते-हँसते निर्वहन किया।।

 

अब मैं भी थोड़ी क्षीण हो गई, 

शायद तुम्हें ये ध्यान ही नहीं।

मेरी भी तो उम्र ढल गई, 

इस बात से तुम अनजान नहीं।।

 

कभी तो मैं भी थकती हूँगी,

काश कभी यह महसूस करो।

दुखते होंगे पाँव भी मेरे,

काश ये तुम एहसास करो।।

 

भूख मुझे भी लगती होगी,

कभी तो तुमको ख़्याल रहे।

मेरी पसंद और नापसंद से,

तुम हमेशा ही अनजान रहे।।

 

नही चाहती मैं ये तुमसे,

कि तुम मुझ पर अभिमान करो।

पर नही चाहती ये भी तुमसे,

कि तुम मेरा अपमान करो।।

 

कुछ मेरे भी तो अरमां होंगे,

काश कभी ये जान सको।

मेरे आत्मसम्मान की गरिमा को,

तुम भी शायद पहचान सको।।

 

काश कभी तुम समझ सको
काश कभी तुम समझ सको

 

क्यों खुद से मैं बातें करती,

शायद ये तुम्हें मालूम नहीं।

कभी तो पल भर साथ में बैठो,

मैं इतनी भी नादान नहीं।।

 

खुद को तुझमें ही विलीन कर दिया,

फिर भी तुझको ‘तृप्ति’ ना मिली।

कुछ अनसुलझे व अनजाने प्रश्नों से,

अबतक भी मुझको मुक्ति ना मिली।।

                               

                                    — तृप्ति श्रीवास्तव      

औरत के दिल का मर्म – मेरी कलम से       

मेरे जीवन की पहचान | Hindi poem by Tripti Srivastava

 

by Tripti Srivastava
मेरा नाम तृप्ति श्रीवास्तव है। मैं इस वेबसाइट की Verified Owner हूँ। मैं न्यूमरोलॉजिस्ट, ज्योतिषी और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ हूँ। मैंने रिसर्च करके बहुत ही आसान शब्दों में जानकारी देने की कोशिश की है। मेरा मुख्य उद्देश्य लोगों को सच्ची सलाह और मार्गदर्शन से खुशी प्रदान करना है।

Leave a Comment