होली से 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है. इन दिनों में मंत्र जप, पूजा-पाठ, दान-पुण्य, तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है।
होली के 8 दिन पहले, जहां होलाष्टक शुरू हो जाएगा, वहीं उसके बाद खरमास का प्रभाव रहेगा. ऐसे में मांगलिक कार्य लंबे समय तक वर्जित रहेंगे. आइए जानते है इस बार यह होलाष्टक कब से शुरू और कब खत्म हो रहा है.
होलाष्टक 2025 कब से है?
इस बार होलाष्टक की शुरुआत 07 मार्च, 2025 से हो रही है. वहीं, इसका समापन होलिका दहन के दिन पहले यानी 13 मार्च, 2025 को होगा. इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को देशभर में होली का पर्व मनाया जाएगा. होलाष्टक और खरमास की वजह से 7 मार्च से 14 अप्रैल तक शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे।

क्यों मनाया जाता है होलाष्टक ?👇
शास्त्रों के अनुसार, होली से आठ दिन पहले यानी अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को ही भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाया था।
इस दौरान प्रह्लाद को जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गई थीं। यातनाओं से भरे उन आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई।
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे रुष्ट होकर शिव जी ने प्रेम के देवता कामदेव को फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था।
इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की, जिसके बाद शिवजी ने रति की प्रार्थना स्वीकार कर ली। महादेव के इस निर्णय के बाद कामदेव फिर से जीवित हो गए और इसी के साथ होलाष्टक का समापन हो गया। साथ ही लोगों ने इसकी खुशी में जश्न मनाया। तभी से होली के पर्व की भी शुरुआत हुई।
होलाष्टक का वैज्ञानिक आधार👇
मौसम में बदलाव के कारण मन अशांत और उदास रहता है। इस मन से किए हुए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं। इसलिए इसमें कुछ शुभ-मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। जैसे ही होलाष्टक समाप्त होता है, रंग खेलकर हम आनंद में डूबने का प्रयास करते हैं और शुभ व मांगलिक कार्य पुन: आरंभ हो जाते हैं।
होलाष्टक के दौरान कौन से कार्य वर्जित
इस दौरान शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, बच्चे का नामकरण आदि जैसे मांगलिक और शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए. इन दिनों में घर का निर्माण या गृह प्रवेश नहीं किया जाता है. होलाष्टक के दौरान सोना-चांदी, वाहन आदि खरीदने की मनाही होती है.
होलाष्टक के दौरान किसी भी नए व्यापार या काम की शुरुआत से बचना चाहिए. इस दौरान शादी, मुंडन, छेदन जैसे संस्कारों से बचना चाहिए. अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे आपके काम में रुकावटें आ सकती हैं.

होलाष्टक में भूल से भी न करें ये काम👇
👉 कहा जाता है कि होलाष्टक में कभी भी विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत 16 संस्कार नहीं करने चाहिए।
👉 इस दौरान नए मकान का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं और न ही गृह प्रवेश करें।
👉 इस समय में नए मकान, वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी से बचना चाहिए।
👉 इन दिनों में कोई भी यज्ञ, हवन आदि कार्यक्रम नहीं करना चाहिए।आप चाहें तो ये कार्य होली के बाद या उससे पहले कर सकते हैं।
👉 साथ ही इस दौरान नौकरी परिवर्तन से बचना चाहिए। यदि नई जॉब ज्वाइन करनी है, तो उसे होलाष्टक के पहले या बाद में करें।
👉 इन दिनों कोई भी नया बिजनेस शुरू करने से बचना चाहिए, क्योंकि नए बिजनेस की शुरुआत के लिए ये समय अच्छा नहीं माना जाता है।
👉 वाहन या सोना-चांदी जैसी कीमती चीजों की खरीदारी नहीं करे। ये समय इन चीजों की खरीद के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इस समय आपको किसी भी तरह के निवेश से बचना चाहिए। होलाष्ट के समय लंबी दूरी की यात्रा नहीं करनी चाहिए।

होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य?👇
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक के समय ग्रह अशुभ माने जाते हैं. इस समय ग्रहों की स्थिति शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाता है. इस दौरान किए गए कार्य केवल बाधाएं उत्पन्न करते हैं.
होलाष्टक की आठ रात्रियों का काफी अधिक महत्व है। इन आठ रात्रियों में की गई साधनाएं जल्दी सफल होती हैं। इन रातों में तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग विशेष साधनाएं करते हैं। इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना निषिद्ध है.
मान्यता है कि होलाष्टक के आठ दिनों की तिथियों पर अलग-अलग ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं। अष्टमी को चंद्र, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, पूर्णिमा को राहु उग्र स्थिति में रहता है।
नौ ग्रहों की उग्र स्थिति की वजह से इन दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। होलाष्टक को अशुभ माना गया है. इसलिए इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है.
होलाष्टक के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए राशि अनुसार उपाय 👇
शास्त्रों के अनुसार इन दिनों में किए गए व्रत और किए गए दान से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है और ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।
मेष- हनुमान उपासना करे
वृष- लक्ष्मी पूजा करे
मिथुन- दुर्गा जी की पूजा करे
कर्क- शिव उपासना करे
सिंह- सूर्य उपासना करे, आदित्यहृदय स्त्रोत पढ़े
कन्या- दुर्गा जी की उपासना करे
तुला- घर की साफ-सफाई करे, छोटी कन्याओं को भोजन कराए
वृश्चिक- हनुमान उपासना करे
धनु- विष्णु जी की पूजा करे
मकर एंव कुंभ- शनि पूजा करे
मीन- मंदिर में पीला वस्तु दान करे
साथ ही सभी राशि वाले डेली सूर्य को अर्घ दे, आदित्य हृदय स्तोत्र, राम-रक्षा स्तोत्र, विष्णुसहस्रनाम, गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करे।
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