फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि को हर साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri Date 2025 and time) का पावन पर्व मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
Mahashivratri Date 2025 : कब है महाशिवरात्रि ? पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत बुधवार 26 फरवरी, 2025 को रात 09 बजकर 57 मिनट पर होगी और गुरुवार 27 फरवरी, 2025 को सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी।
ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए इस साल महाशिवरात्रि का पर्व (Mahashivratri Date 2025) बुधवार 26 फरवरी, 2025 को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है।
Mahashivratri Date 2025
महाशिवरात्रि का महत्व : Mahashivratri Date 2025
पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास के चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। मान्यता है कि इस दिन विधिवत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है और विवाह में आने वाली सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं।
मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक कर विधिवत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और भोलेनाथ का आशीर्वाद सदैव अपने भक्तों पर बना रहता है।
Mahashivratri Puja Samagri : पूजा सामग्री
भगवान शिव पर अक्षत, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, केसर, दूध, दही, शहद, घी, भांग,धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा, गंगाजल, गन्ने का रस, शमीपत्र, गुलाल व दक्षिणा आदि भगवान को अर्पित करें.
Mahashivratri Puja Vidhi : महाशिवरात्रि व्रत की पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर सबसे पहले पंचामृत यानी दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल से बना हुआ मिश्रण चढ़ाना चाहिए.
- इसके बाद धतूरा, फल, बेलपत्र, फूल, भांग, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्त्र आदि अर्पित करें. चंदन का तिलक लगाएं.
- शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए.
- शिव जी के समुख दीप और कर्पूर जलाएं. केसर युक्त खीर का भोग लगाएं.
- शिवपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना चाहिए। ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय, रूद्राय शम्भवाय भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.
- महाशिवरात्रि की पूजा निशित काल में करना शुभ माना जाता है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार पूरे दिन कभी भी पूजा कर सकते हैं।
- अंत में आरती करें. भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.
- सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य समय में ही व्रत पारण करना चाहिए। ध्यान रहे व्रत का पारण योग्य समय पर ना करने से पूर्ण फल नहीं मिलता है।
महाशिवरात्रि मंत्र- Mahashivratri Mantra
- ॐ शिवाय नम:
- शिवाय नम:
- ॐ त्रिनेत्राय नम:
- ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ॐ
- ॐ नमो भगवते रूद्राय
- ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥
Mahashivratri Date 2025 : शुभ मुहूर्त
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ | 26 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से। |
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि का समापन | 27 फरवरी 2025 को सुबह 08 बजकर 54 मिनट तक |
महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा का का मुहूर्त | बुधवार 26 फरवरी को शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक |
महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा का का मुहूर्त | बुधवार 26 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से 27 फरवरी सुबह 12:34 तक |
महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा का का मुहूर्त | फरवरी 27 को सुबह 12 बजकर 34 मिनट से 3 बजकर 41 मिनट तक |
महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा का का मुहूर्त | फरवरी 27 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से 06 बजकर 48 मिनट तक |
निशित काल पूजा का शुभ मुहूर्त | फरवरी 27 को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 59 मिनट तक |
महाशिवरात्रि व्रत पारण का समय | फरवरी 27 को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से 8 बजकर 54 मिनट तक |
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क्या होता है निशित काल – Mahashivratri Date 2025
शिवरात्रि पर रात्रि के समय महादेव की पूजा करने के लिए निशित काल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार निशित रात्रि के एक कल्पित पुत्र का नाम है, जिसका अर्थ होता है तीक्ष्ण रात्रि. पौराणिक मान्यताएं कहती हैं कि जब भगवान शिव शिवलिंग के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए तब वह निशित काल ही समय था. यही कारण है कि शिव जी के मंदिरों में लिंगोद्भव पूजा का अनुष्ठान इसी समय में किया जाता है।
प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि : Mahashivratri Date 2025
प्रहर | शिवलिंग अभिषेक | मंत्र |
प्रथम प्रहर में | दूध | ह्रीं ईशानाय नमः |
दूसरे प्रहर में | दही | ह्रीं अघोराय नमः |
तीसरे प्रहर में | घृत | ह्रीं वामदेवाय नमः |
चौथे प्रहर में | शहद | ह्रीं सद्योजाताय नमः |
Mahashivratri Date 2025 : धार्मिक मान्यता
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग (Shivling) का अभिषेक करने के बाद जलढ़री का जल घर ले आएं और ‘ ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च ‘ मंत्र बोलते हुए घर में इस जल का छिड़काव कर दें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और घर में खुशहाली आती है.
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को क्या चढ़ाएं – Mahashivratri Date 2025
इस दिन शिव जी को 3 पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाएं। शंकर भगवान को भांग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। धतुरा और गन्ने का रस शिव जी को अर्पित करें। इससे जीवन में सुख बढ़ता है। जल में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे मन की अशांति दूर होती है।
भोलेनाथ को क्यों प्रिय हैं बेलपत्र
माता पार्वती ने भोलेनाथ को पाने के लिए बहुत तपस्या की साथ ही अनेक व्रत भी किए. एक बार जब भोलेनाथ बेल के पेड़ के नीचे तपस्या कर रहे थे तो माता पार्वती पूजा सामग्री लाना भूल गईं और वहीं नीचे पड़े बेलपत्र के पत्तों से ही भोलेनाथ की पूजा-अर्चना शुरु कर दी और उनकों पूरा ढक दिया. इससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए और तभी से उन्हें बेलपत्र चढ़ाया जाने लगा.
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को जो भक्त बेल अर्पित करते हैं उनकी धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
जो पति-पत्नी एक साथ महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाते हैं उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है साथ ही संतान सुख की प्राप्ति भी होती है.
शिवलिंग पर भूलकर भी चढ़ाएं ये चीजें: Mahashivratri Date 2025
- भगवान शिव को कभी भी तुलसी पत्र अर्पित नहीं करने चाहिए। भगवान शिव को तुलसी अर्पित करने से वे अप्रसन्न हो जाते हैं।
- कुछ लोग पैकेट वाला दूध चढ़ाते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए भले ही वह दूध से अभिषेक न करें। शिवलिंग पर ठंडा और गंगा जल मिला हुआ ही दूध ही चढ़ाएं।
- चंपा या केतली के फूल अर्पित न करें। भगवान शिव को केतकी के फूल नहीं चढ़ाये जाते हैं.
- साथ ही इस दिन टूटे हुए चावल यानि खंडित अक्षत भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाएं।
- कटे-फटे बेल पत्र न चढ़ाएं।
- इसके साथ ही शिवलिंग पर कुमकुम का तिलक लगाना भी निषेध होता है। हालांकि माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को कुमकुम का टीका लगाया जा सकता है।
- भगवान शिव को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है.
- भगवान शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाते हैं.
- भगवान शिव को सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए.
महाशिवरात्रि के दिन कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
शिव पूजा में हरा रंग पहनना सबसे शुभ माना जाता है। हरा रंग भोलेनाथ का प्रिय रंग माना जाता है। कहा जाता है कि हरा पहनने वालों से भोलेनाथ (Bholenath) प्रसन्न होते हैं। शिव जी की पूजा के दौरान आप हरे रंग के अलावा संतरी, पीले, सफेद और लाल रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर किस रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए?
शास्त्रों में पूजा के दौरान काले रंग के कपड़ों को पहनना साफ मना किया गया है। इसके अलावा नीले रंग के कपड़े पहनने की भी मनाही है। कहा जाता है कि ऐसे कपड़ों से नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और इन कपड़ों को अशुभ भी माना गया है।
कौन सा अभिषेक करने से किस तरह का फल प्राप्त होता है : Mahashivratri Date 2024
गंगा जल से अभिषेक
महाशिवरात्रि के दिन यदि शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया जाए तो व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है.
दूध से अभिषेक
अगर शिवलिंग पर दूध से अभिषेक किया जाए तो व्यक्ति तीव्र एवं तार्किक बुद्धि को प्राप्त करता है. घर में यदि किसी भी कारणवश लड़ाई-झगड़े या कलह जैसी स्थिति होती है तो ये बाधाएं समाप्त होती हैं और घर में मधुरता का वास होता है.
गन्ने के रस से अभिषेक
गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है.
घी से अभिषेक
महाशिवरात्रि के विशेष दिन पर यदि घी से शिवलिंग पर अभिषेक किया जाए तो करने वाले व्यक्ति के वंश में विस्तार होता है साथ ही समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है.
इत्र से अभिषेक
जिन्हें अपने दाम्पत्य जीवन में किसी भी कारणवश काम सुख में कमी है तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर इत्र से अभिषेक करने पर उनके काम-भोग में निश्चित रूप से वृद्धि होती है और व्यक्ति पूर्ण रूप से दाम्पत्य जीवन के सुखों को प्राप्त करता है.
शहद से अभिषेक
ऐसी भी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति क्षय रोग अर्थात टीबी का मरीज है और वो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करे तो उसके इस रोग का पूरी तरह से नाश होता है.
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मंगलवार को भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम
भगवान शिव के 108 नाम (108 Name Of Lord Shiva)
1. शिव: 2. महेश्वर: 3. शम्भू: 4. पिनाकी: 5. शशिशेखर: 6. वामदेव: 7. विरूपाक्ष: 8. कपर्दी: 9. नीललोहित: 10. शंकर: 11. शूलपाणी: 12. खटवांगी: 13. विष्णुवल्लभ: 14. शिपिविष्ट: 15. अंबिकानाथ: 16. श्रीकण्ठ: 17. भक्तवत्सल: 18. भव:संसार: 19. शर्व: 20. त्रिलोकेश: 21. शितिकण्ठ: 22. शिवाप्रिय: 23. उग्र: 24. कपाली: 25. कामारी: 26. सुरसूदन:
27. गंगाधर: 28. ललाटाक्ष: 29. महाकाल: 30. कृपानिधि: 31. भीम: 32. परशुहस्त: 33. मृगपाणी: 34. जटाधर: 35. कैलाशवासी: 36. कवची: 37. कठोर: 38. त्रिपुरांतक: 39. वृषांक: 40. वृषभारूढ़: 41. भस्मोद्धूलितविग्रह: 42. सामप्रिय: 43. स्वरमयी: 44. त्रयीमूर्ति: 45. अनीश्वर: 46. सर्वज्ञ: 47. परमात्मा: 48. सोमसूर्याग्निलोचन: 49. हवि: 50. यज्ञमय: 51. सोम: 52. पंचवक्त्र:
53. सदाशिव: 54. विश्वेश्वर: 55. वीरभद्र: 56. गणनाथ: 57. प्रजापति: 58. हिरण्यरेता: 59. दुर्धुर्ष: 60. गिरीश: 61. गिरिश्वर: 62. अनघ: 63. भुजंगभूषण: 64. भर्ग: 65. गिरिधन्वा: 66. गिरिप्रिय: 67. कृत्तिवासा: 68. पुराराति: 69. भगवान: 70. प्रमथाधिप: 71. मृत्युंजय: 72. सूक्ष्मतनु:73. जगद्व्यापी: 74. जगद्गुरू: 75. व्योमकेश: 76. महासेनजनक: 77. चारुविक्रम: 78. रूद्र:
79. भूतपति: 80. स्थाणु: 81. अहिर्बुध्न्य: 82. दिगम्बर: 83. अष्टमूर्ति: 84. अनेकात्मा: 85. सात्त्विक: 86. शुद्धविग्रह: 87. शाश्वत : 88. खण्डपरशु: 89. अज: 90. पाशविमोचन: 91. मृड: 92. पशुपति: 93. देव: 94. महादेव: 95. अव्यय: 96. हरि: 97 .पूषदन्तभित: 98. अव्यग्र: 100. हर: 101. भगनेत्रभिद्: 102. अव्यक्त: 103. सहस्राक्ष: 104. सहस्रपाद: 105. अपवर्गप्रद: 106. अनंत: 107. तारक: 108. परमेश्वर:
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मनोवांछित फल के लिए राशि अनुसार ऐसे करें शिव पूजा : Mahashivratri Date 2025
राशि अनुसार शिव का पूजन करने से भक्त को विशेष फल मिलता है। राशि के अनुसार शिवजी को प्रसन्ना करने के उपाय करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्णण होती हैं। दूषित ग्रह भी शुभ होकर अच्छे फल देने लगते हैं।
इस दिन ग्रहों का महासंयोग भी बन रहा है। ग्रहों के इस विशेष संयोग असर सभी राशियों पर पड़ेगा। इस महाशिवरात्रि के अवसर पर राशि के अनुसार आप भोलेनाथ की पूजा करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अभिषेक कर सकते हैं. भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर आप अपने घर में सुख और शांति ला सकते हैं.
मेष-
इस राशि के जातक महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान शिवजी को लाल चंदन लगाकर लाल रंग के पुष्प और आंकड़े का पुष्प अर्पित करें। कनेर के पुष्प और शहद से शिव जी का अभिषेक करने से कार्य सिद्ध होंगे.
वृषभ-
वृषभ राशि के जातक पूजा के दौरान भगवान शिव का चमेली के फूल अर्पित करें। कच्चे दूध में मिश्री मिलाकर शिव जी का पूजन करने से संतान का विकास होगा एवं लक्ष्मी जी सदा सहाय रहेंगी.
मिथुन-
मिथुन राशि के जातक भगवान शिव को तीन बेलपत्र, धतूरा, भांग अर्पित कर पूजा करें। भांग मिश्रित दूध से शिव जी का अभिषेक करेंगे तो मनोकामनायें पूर्ण होंगी. नौकरी और व्यवसाय में प्रगति होगी.
कर्क-
कर्क राशि के जातक शिवलिंग का अभिषेक भांग मिश्रित दूध, चावल व चंदन से करें। रुद्रष्टाध्यायी का पाठ कष्टों का हरण करता है। घी, शक्कर मिश्रित दूध से अभिषेक करने पर शिव जी प्रसन्न होकर मनचाही संतान का आशीर्वाद देते हैं और धन-धान्य में वृद्धि होती है.
सिंह-
सिंह राशि के जातकों को कनेर के लाल रंग के पुष्प भगवान को चढ़ाने चाहिए। घी का दीपक जला कर शिव चालीसा का पाठ करें। गुलाब जल मिश्रित दूध से शिव जी का अभिषेक करने पर सामाजिक कार्यो में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी एवं धन में वृद्धि होगी.
कन्या-
कन्या राशि के जातक बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि सामग्री शिवलिंग पर अर्पित करें। पंचाक्षरी मंत्र का जाप आपकी मनोकामनाओं को पूरी कर सकता है। धतूरा, गांजा, शमी और दही से शिव जी का अभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होगा और रुके हुए कार्यों में प्रगति होगी.
तुला-
तुला राशि के जातक पंचामृत से शिव जी का अभिषेक करेंगे तो आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी एंव संतान सुशिक्षित व आज्ञाकारी होगी.
वृश्चिक-
वृश्चिक राशि के जातक भोलेनाथ की पूजा गुलाब के फूलों व बिल्वपत्र की जड़ से करें। रुद्राष्टक का पाठ करने से राशि के अनुसार सौभाग्यशाली परिणाम मिलेंगे। दूध में बिल्वपत्र मिलाकर शिवजी का अभिषेक करने से दुःख व कष्ट दूर होकर घर में सुखद वातावरण बना रहेगा।
धनु-
धनु राशि के जातक शिव की पूजा पीले रंग के फूलों से करें। प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाएं। दूध में कनेर के फूल और शहद मिलाकर शिव जी का अभिषेक करने से रिश्तों में मजबूती आती है एवं व्यवसाय में प्रगतिशीलता आएगी.
मकर-
मकर राशि के जातकों कोभगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दूध में काले तिल डालकर रुद्राभिषेक करना चाहिए। परिवार में सुख और समृद्धि आएगी साथ ही शरीर निरोगी होगा.
कुंभ-
कुंभ राशि के जातकों को गन्नो के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। धन लाभ पाने के लिए शिवाष्टक का पाठ भी करें। खीर का भोग लगाएं। खीर से शिव जी की पूजा करने से घर के क्लेश मिटते हैं एंव संतान सही मार्ग पर चलती है.
मीन-
पंचामृत, दही, दूध एवं पीले रंग के फूल शिवलिंग पर अर्पित करें। पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का चंदन की माला से 108 बार जाप करें। दूध में भांग, तुलसी, गन्ने का रस, मौलगिरी और कटेली के पुष्प मिलाकर शिव जी का अभिषेक करने से सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं, भय दूर होता है एवं आय के स्त्रोत बनते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन करें ये खास उपाय (Mahashivratri Date 2025 Upay)
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ शिवलिंग में विराजमान होते हैं. इसलिए इस दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है. भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का ये पावन दिन शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है.
1. सुख समृद्धि पाने के लिए
जीवन में अगर आप सुख समृद्धि पाना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं. जिससे की भगवान शिव प्रसन्न हो जाएंगे.
2. उत्तम स्वास्थ्य के लिए
महाशिवरात्रि के दिन शाम के वक्त किसी मिट्टी के दीए में शुद्ध गाय का घी भरकर उसमें थोड़ी मात्रा में कपूर डालें. इसके बाद कलावे की 4 बातियां बनाकर जलाएं. जल में दूध, मिश्री, अक्षत मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें. ऐसा करते हुए ‘ओम् नमः शिवाय’ इस का 108 बार जाप करें. ऐसा करने से सेहत से जुड़ी समस्या का समाधान मिलेगा.
3. धन प्राप्ति के लिए
महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल से शिवलिंग का अभिषेक करें. शिव को जलार्पण करने के बाद ‘ ओम् नमः पार्वतीपतये ‘ इस मंत्र का 108 बार जाप करें. इतना करने करने के बाद भगवान शिव से धन प्राप्ति और आय बढ़ाने के लिए प्रार्थना करें.
4. नौकरी और बिजनेस में सफलता पाने के लिए
महाशिवरात्रि के दिन चांदी के लोटे से शिवलिंग पर अभिषेक करते वक्त ‘ ओम् नमः शिवाय ‘ का जाप करते रहें. शिव पूजन में सफेद पुष्प का जरूर इस्तेमाल करें. ऐसा करने से बाद शिव को प्रणाम करते हुए उनसे व्यापर या नौकरी में सफलता की प्रार्थना करें.
5. विवाह के लिए
अगर विवाह में किसी प्रकार की बाधा आ रही है तो इसके लिए महाशिवरात्रि के दिन शाम के वक्त पीले वस्त्र पहनकर शिव मंदिर जाएं. इसके बाद अपनी उम्र के बराबर बेलपत्र लें. हर बेलपत्र पर पीले चंदन लगाकर चढ़ाते वक्त ‘ ॐ नमः शिवाय ‘ जाप करते रहें. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और जल्द विवाह की प्रार्थना करें.
6. वैवाहिक जीवन में समस्या
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह वाली तस्वीर को पूजा करने के स्थान पर लगाएं और नियमित रूप से इसकी पूजा करें. साथ ही भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें.
7. संतान से संबंधित समस्या
महाशिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार उनका जलाभिषेक करें. ऐसा करने से संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी.
8. शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता के लिए
शिक्षा प्रतियोगिता में सफलता प्राप्ति हेतु छात्रों को या उनके अभिभावक को भगवान शिव का मन्त्र ” ॐ रुद्राय नमः ” का 108 बार रुद्राक्ष के माला पर जाप करना चाहिए. 108 बेलपत्र भगवान शिव पर जरूर चढ़ाएं और प्रत्येक बेलपत्र पर चन्दन से ” राम ” लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं.
9. व्यापार में सफलता हेतु
व्यापार में लगातार संघर्ष, असफलता और हानि हो रही है तो ऐसी स्थिति में भगवान शिव का अभिषेक दूध में केसर डालकर करें. बेलपत्र चढ़ाए और ” ॐ सर्वेशेवराय नमः ” का जाप रुद्राक्ष की माला पर करें लाभ होगा.
महाशिवरात्रि के दिन क्या न करें – Mahashivratri Date 2025
- महाशिवरात्रि के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन देर रात तक नहीं सोना चाहिए।
- महाशिवरात्रि के दिन दाल, चावल या गेहूं से बना अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए।
- ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
- कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव को अर्पित प्रसाद नहीं खाना चाहिए।
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महाशिवरात्रि व्रत कथा (Mahashivratri Katha) – Mahashivratri Date 2025
गरुण पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे बैठ गया, जहां बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था।
अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए।
अपने पैरों को साफ करने के लिए उसने उन पर तालाब का जल छिड़का, जिसकी कुछ बूंदें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया, जिसे उठाने के लिए वह शिवलिंग के सामने झुका।
इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया। इस प्रकार अनजाने में ही की हुई शिवरात्रि पूजन का परिणाम निषादराज को तत्काल मिला।
कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंग – Mahashivratri Date 2025
माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग 64 अलग अलग जगहों पर प्रकट हुए थे। उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम पता है। इन्हें हम द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। उनमें से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में स्थित है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भव्य रूप से शिवरात्रि की पूजा होती है। इस मंदिर को भगवान शिव का निवास माना जाता है। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं।
FAQs : Mahashivratri Date 2025
भगवान शिव को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाते हैं ?
शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था. जिसको मारने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा. अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था. इसी वजह से तुलसी का प्रयोग शिव पूजा करने की मनाही है.
भगवान शिव को हल्दी क्यों नहीं चढ़ाते हैं ?
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है. इसी कारण धार्मिक रूप से शिवलिंग पर हल्दी लगाने या चढ़ाने से मना किया जाता है.
भगवान शिव को सिंदूर क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए ?
भगवान शिव को सिंदूर इसलिए नहीं चढ़ाया जाता है कि क्योंकि हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इसे लगाती है. वहीं भगवान शिव संहारक है. इसलिए भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने के बजाय चंदन का तिलक लगाना शुभ माना गया है.
शिवरात्रि के दिन हरे रंग के वस्त्र क्यों धारण करते हैं ?
भगवान शिव को सफ़ेद और हरा रंग बहुत प्रिय होता है इसलिए शिवरात्रि के दिन शिव जी को चढ़ाये हुए फूल और बेल-धतूरा सफ़ेद और हरे रंग के ही होते हैं। शिवरात्रि के दिन हरे रंग को धारण करना बहुत शुभ मन जाता है।
एक साल में कितने शिवरात्रि होते हैं?
एक वर्ष में 12 शिवरात्रि होती है। जिनमें से महा शिवरात्रि सबसे शक्तिशाली आध्यात्मिक महत्व वाली होती है।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
शिवरात्रि हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है, लेकिन महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है।
भगवान शिव को कौन से फूल नहीं चढ़ाने चाहिए?
माना जाता है कि केवड़ा और चंपा के फूलों को भगवान शिव ने श्राप दिया था। इसलिए कभी भी उन्हें ये फूल नहीं चढ़ाने चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?
शिवपुराण के अनुसार, धन प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर जल में अक्षत यानी चावल मिलाकर अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से धन संबंधित समस्या का अंत होता है और कर्ज की समस्या से भी मुक्ति मिलती है।